प्लाक्षा विश्वविद्यालय ने फंड लॉन्च किया

◆ अगले 5 वर्षों में महिलाओं के नामांकन को 50% तक बढ़ाने के लिए 

◆ यूनाइटेड नेशन के इंटरनेशनल डे ऑफ वीमेन एंड गर्ल्स पर महिलाओं और लड़कियों के लिए विज्ञान विषय में प्लाक्षा विश्वविद्यालय ने एसटीईएम में एक फंड लॉन्च किया

शब्दवाणी समाचार, रविवार 13 फरवरी  2022, नई दिल्ली। एक अत्याधुनिक तकनीकी विश्वविद्यालय बनाने के लिए प्लाक्षा विश्वविद्यालय ने विशेष रूप से उच्च शिक्षा में एसटीईएम एजुकेशन में लड़कियों तथा महिलाओं के नामांकन को बढ़ावा देने के लिए 'अय्यालसोमयाजुला ललिता' फंड लॉन्च किया। विश्वविद्यालय का लक्ष्य कुल छात्रवृत्ति में से 50% अनुदान महिला छात्राओं को देने का है,जिससे कि ना केवल इन मेधावी छात्राओं को समान अवसर मिलेगा बल्कि एसटीईएम एजुकेशन में लड़कियों की भागीदारी भी बढ़ेगी।

शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में जारी उच्च शिक्षा पर नवीनतम अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार, देश में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में महिलाओं का प्रतिशत 30% से भी कम है। यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल डे ऑफ वीमेन एंड गर्ल्स के पर्व पर अपने दृष्टिकोण  के विषय में बताते हुए प्लाक्षा विश्वविद्यालय ने कहा कि वे दो रणनीतियों के सहारे शैक्षणिक वर्ष 2027 तक संस्था में महिलाओं के नामांकन को 50% तक पहुँचा देंगे। सबसे पहली रणनीति के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण कोई भी योग्य महिला उम्मीदवार प्रवेश से वंचित न रह जाए। दूसरी रणनीति के तहत यह तय किया जाएगा कि प्रवेश प्रक्रिया समग्र हो तथा किसी तरह की स्टैंडर्ड प्रवेश परीक्षा ना हो एवं यह किसी एकेडमिक तैयारी पर भी निर्भर ना करता हो - यह सभी बाधाएँ इंजीनियरिंग तथा एसटीईएम में लिंग अनुपात को कम करती हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं की पूर्ण और समान पहुँच और भागीदारी के अपने मिशन को आगे बढ़ाते हुए, ललिता फंड उन महिलाओं को समर्पित है जो एसटीईएम क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं। विज्ञान विषय में लड़कियों तथा महिलाओं को शामिल करने में विश्वविद्यालय सबसे आगे है जिसमें लगभग एक तिहाई पहले अंडर-ग्रेजुएट दल में हैं एवं एक चौथाई से अधिक महिला छात्र स्नातकोत्तर (टेक्नोलॉजी लीडर्स प्रोग्राम) में शामिल हैं। यह भारती फाउंडेशन, एक्सिस बैंक, वी मार्ट, एम्फैसिस द्वारा प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति और व्यक्तिगत डोनर्स और कॉर्पोरेशंस के योगदान के कारण संभव हुआ है।

इस अवसर पर बोलते हुए, प्लाक्षा विश्वविद्यालय के फाउंडिंग वाइस चांसलर, प्रोफेसर रूद्र प्रताप (पूर्व डिप्टी डायरेक्टर आफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस) ने कहा, "भारत एसटीईएम का पावर हाउस है एवं तकनीकी शिक्षा में शैक्षणिक वर्ष 2027 तक महिलाओं के नामांकन को 50% तक बढ़ाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ उच्च शिक्षा में भारत क्रांति के शिखर पर है। इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य प्रौद्योगिकी तथा इंजीनियरिंग में महिलाओं के नामांकन को बढ़ाना है जो अभी वर्तमान में 30% से भी कम है। प्लाक्षा विश्वविद्यालय में हमारा उद्देश्य महिलाओं को सहयोग व प्रोत्साहन देना है, ताकि वो अपने व्यापक दृष्टिकोण एवं बड़ी चुनौतियों को हल करने की समझ व समाधानों द्वारा विश्व को आलोकित कर सकें। प्लाक्षा विश्वविद्यालय से निकलने वाले सबसे पहले स्नातक दल में भारत के 41 शहरों, कस्बों और गाँव के छात्र शामिल हैं। यह विद्यार्थी विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक और समकालीन बीटेक डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं। चयनित छात्रों में 29% छात्र उत्तर भारत से हैं, 23% दक्षिण भारत से तथा 19% विद्यार्थी पश्चिमी क्षेत्र से हैं जो इस विश्वविद्यालय को सांस्कृतिक रूप से समृद्धि बनाते हैं।

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