ऊबर ने अपने एक लाख से अधिक ड्राइवरों को जेंडर सेन्सिटाईज़ किया

◆ ऊबर प्लेटफॉर्म पर ड्राइव करने वाले मोहन दाबडे ने मानस फाउंडेशन के साथ साझेदारी में दिए गए ऊबर जेंडर सेंसिटाइजेशन सेशन का अपना डिजिटल सर्टिफिकेट प्रदर्शित किया

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 10 मार्च 2022, गुरुग्राम। इंटरनेशनल विमेंज़ डे के अवसर पर ऊबर ने घोषणा की कि उसने अपने प्लेटफार्म पर एक लाख से अधिक ड्राइवरों को जेंडर सेन्सिटाईज़ बनाया है। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में नॉन-ऊबर ड्राइवरों के लिए इंडस्ट्री में पहली बार इस अभियान के विस्तार की योजना बनाई जा रही है। यह पहल #BreakTheBias अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाना है। महिला सुरक्षा के लिए ऊबर निरंतर प्रतिबद्ध है।

ऊबर ने 2018 से जेंडर सेंसिटाईज़ेशन सत्र चलाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य, लिंग समानता एवं न्याय के क्षेत्र में काम करने वाली एक एनजीओ मानस फाउंडेशन के साथ भागीदारी की है, जो कि दिल्ली में स्थित है। ये सत्र, ड्राइवरों को महिलाओं की जरूरतों को समझने और संवेदनशील होने में मदद करते हैं। ऊबर प्लेटफार्म पर गाड़ी चलाने वाले 34 भारतीय शहरों के ड्राइवरों को इससे फायदा हुआ है। यह सत्र मानस फाउंडेशन के विशेषज्ञों द्वारा ड्राइवरों को शिक्षित करने के लिए दिया जाता है। ड्राइवरों को यह समझाया जाता है की पुरुष एवं महिलाएं सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का उपयोग किस प्रकार करते हैं, सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं को किस हद तक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और महिला सुरक्षा से जुड़े हुए इस मुद्दे में ड्राइवरों की भूमिका के बारे में जानकारी दी जाती है। ड्राइवर यह भी सीखते हैं कि अपने व्यवहार को किस तरह से ठीक रखा जाए जिससे महिलाओं को सुरक्षित महसूस हो।

इस साझेदारी पर बोलते हुए प्रभजीत सिंह, प्रेसिडेंट, इंडिया एंड साउथ एशिया, ऊबर इंडिया ने कहा, "विशेषकर महिलाओं के लिए परिवहन और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाने में सभी को हिस्सा लेने की जरूरत है। मानस फाउंडेशन के साथ हमारी साझेदारी बेहद सफल रही है। हमें उन ड्राइवरों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है उन्होंने जेंडर सेंसिटाईज़ेशन सत्रों में भाग लिया है। इस इंडस्ट्री में सुरक्षा के उच्चतम मानकों को स्थापित करने के लिए ऊबर प्रतिबद्ध है और अब हमने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को अपने प्लेटफार्म से अलग, कमर्शियल ड्राइवरों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। हमने कई अन्य राज्य सरकारों के साथ इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है जिससे महिलाओं की सुरक्षा में और अधिक सुधार होगा।

जेंडर सिटाईज़ेशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मोनिका कुमार, को-फाउंडर, मानस फाउंडेशन ने कहा, "ऊबर के साथ हमारी साझेदारी ने इस प्लेटफार्म पर सुरक्षा बढ़ाने में मदद की है, जिसका कारण ड्राइवरों के व्यवहार में उचित बदलाव है। हम सार्वजनिक परिवहन को महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुलभ बनाने की दिशा में यात्रा में बदलाव के महत्वपूर्ण एजेंट के रूप में ड्राइवरों को देखते हैं। ड्राइवरों के साथ हमारी बातचीत में, उन्होंने इन सत्रों के प्रभाव को पहचाना है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार होता है और उनमें छोटे बदलाव होते हैं जो महिलाओं को यात्रा के दौरान अधिक सुरक्षित महसूस करने में मदद करते हैं। हमारी साझेदारी में 100,000 का आंकड़ा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और हम निकट भविष्य में इस कार्यक्रम को नॉन-ऊबर ड्राइवरों के लिए आगे बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक योगदान देने की उम्मीद करते हैं।

साझेदारी के लिए अपना समर्थन साझा करते हुए, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “100000 जेंडर सेन्सिटाईज़ पार्टनर प्राप्त करने के लिए मैं ऊबर इंडिया को बधाई देती हूं। कोविड-19 की चुनौती के बावजूद भी सभी ड्राइवरों ने मानस फाउंडेशन के साथ बेहद समर्पण के साथ काम किया है जो कि एक अच्छे उद्देश्य के लिए है। अब ज्यादातर राज्य सरकारें कमर्शियल ड्राइवरों के लिए भी इस तरह के सत्र के आयोजन को अनिवार्य करने जा रही हैं। इस तरह के अभियान सार्वजनिक स्थानों पर परिवहन को सुरक्षित बनाकर नागरिकों के जीवन को और अधिक व्यापक और सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे। मुझे पूरी उम्मीद है कि ऊबर के अलावा अन्य कंपनियां भी इसका अनुसरण करेंगे और महिलाओं के लिए सुरक्षित सार्वजनिक स्थान बनाने में योगदान देंगी। मानस फाउंडेशन के साथ साझेदारी में ड्राइवर पार्टनर के लिए जेंडर सेंसिटाईज़ेशन सेशन ऑनलाइन डिलीवर किया जा रहा है।

मानस फाउंडेशन द्वारा किए गए एक आंकलन के अनुसार अधिकांश ड्राइवरों ने सभी सत्रों के लिए एक सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है तथा सत्र में सीखे गए ज्ञान को अपनी कार्यशैली में लागू किया है। ऊबर प्लेटफार्म पर गाड़ी चलाने वाले मोहम्मद सलीम का मानना है कि प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के बाद वह महिला यात्रियों के प्रति अपने व्यवहार को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं एवं ऊबर द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पूरी लगन से पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "सत्र वास्तव में प्रभावशाली था। अब मैंने ऐप के अंदर इनबिल्ट इमरजेंसी बटन तथा अन्य सुरक्षा सुविधाओं के बारे में जागरूकता फैलाना शुरू कर दिया है। मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता हूं कि सभी यात्री विशेष रूप से महिला यात्री यात्रा के दौरान सहज महसूस करें और मैं हर संभव तरीके से उनकी सहायता कर सकूं। मुझे खुशी है कि मेरी ऊबर रेटिंग बढ़ गई है और अब यात्री मेरे साथ सवारी कर कर बेहद खुशी महसूस करते हैं।

ऊबर प्लेटफार्म के एक अन्य ड्राइवर अरुण शर्मा ने साझा किया की, "सत्र का प्रभाव इस बात पर दिखाई देता है कि ड्राइवर अपने यात्रियों के साथ कैसा व्यवहार कर रहा है। उन्होंने आगे कहा मैंने महिलाओं के प्रति सम्मानजनक व्यवहार के बारे में बहुत कुछ सीखा है। अब मैं अपने यात्रियों के लिए एक अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश करता हूँ एवं उनसे यह भी साझा करता हूं कि मैंने जेंडर सेंसिटाईज़ेशन सत्र में भाग लिया है। मुझे लगता है कि मैं यात्रियों को बेहतर ढंग से समझता हूं एवं वह भी मेरे साथ की जाने वाली यात्राओं से बेहद संतुष्ट हैं।ऊबर ने टू-वे फीडबैक और रेटिंग, 24X7 सेफ्टी सपोर्ट और इन-ऐप इमरजेंसी बटन जैसी कई सेफ्टी फीचर्स के जरिए अपने प्लेटफॉर्म पर राइडर सेफ्टी को बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जारी रखा है।

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