ऊबर ने नया मार्केटिंग अभियान बस सोचो और चल पड़ो किया लॉन्च

◆ इस अभियान में बुकिंग की किफायती श्रेणियों, ऑटो और मोटो के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए दैनिक सफर का चित्रण

◆ दैनिक जीवन की कहानियों से प्रेरित चार फिल्मों के साथ 360 डिग्री अभियान लॉन्च किया

शब्दवाणी समाचार, रविवार 27 मार्च 2022, गुरुग्राम। ऊबर ने एक नया, 360 डिग्री ब्रांड कैम्पेन, ‘बस सोचो और चल पड़ो’ लॉन्च किया। इस ब्रांड कैम्पेन का उद्देश्य बुकिंग की किफायती श्रेणियों, ऊबर ऑटो और ऊबर मोटो के बारे में जागरुकता बढ़ाना है, ताकि लोगों को यह कल्पना करने में मदद मिले कि वो किस प्रकार प्रतिदिन सफर कर सकते हैं। यह अभियान कैम्पेन उन भारतीयों की अदम्य भावना को सम्मानित करता है, जो दृढ़ महत्वाकांक्षी हैं और रास्ते की हर मुश्किल के बावजूद जोश के साथ अपने सपनों का पीछा करते हैं। यह कैम्पेन उन अबाध भारतीयों के जीवन की कहानियों से प्रेरित है, जिनमें अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और यथास्थिति में परिवर्तन लाने का साहस है।

दैनिक आवागमन की चुनौतियां अक्सर भारतीय युवाओं की क्षमता एवं महत्वाकांक्षाओं को सीमित कर देती हैं। हालांकि, अवसरों के द्वार खोलने के लिए प्रतिबद्ध कंपनी के रूप में ऊबर का उद्देश्य इन दृढ़ महत्वाकांक्षियों को बेहतर, सुलभ, एवं किफायती मोबिलिटी के विकल्प प्रदान करना है, ताकि वो अपने सपनों व महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ बन सकें। ऊबर का ऑटो और मोटो व्यवसाय को कोविडपूर्व के समय में मिल रहे यात्रियों के मुकाबले क्रमशः 180 प्रतिशत और 140 प्रतिशत ज्यादा यात्री मिल रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर एवं अन्य शहरों में ऑटो और मोटो श्रेणियों के व्यवसाय में 1.5 गुना से लेकर 3.5 गुना तक सुधार हुआ है।

ऊबर के किफायती मोबिलिटी समाधान ने अपने लॉन्च से ही टियर 1, टियर 2, और टियर 3 शहरों में तीव्र वृद्धि की है। ऊबर मोटो 49 शहरों में मौजूद है, तथा ऊबर ऑटो 52 शहरों में उपलब्ध है। इस अभियान के बारे में एफसीबी इंडिया के सीसीओ, सुरजो दत्त ने कहा, ‘‘ऊबर और एफसीबी ने मिलकर एक सपना देखा था! यह कैम्पेन उपभोक्ताओं से सैकड़ों वार्ताओं, सामाजिक-सांस्कृतिक ज्ञान और जीवन की वास्तविक कहानियों से उत्पन्न हुआ है, जो टीवीसी एवं शॉर्ट डिजिटल फॉर्मेट में मांग के अनुरूप मनोरंजन, संलग्नता और समय के अनुशासन के साथ प्रस्तुत किया गया है। टीम के अभूतपूर्व प्रयास के बाद, आउटपुट हमारी कल्पना से भी बेहतर था। ‘गो गेट इट’ प्लेटफॉर्म, जो हमारे ऊबर ऑटो और मोटो की स्ट्रेट्जी का मुख्य हिस्सा है, वह खूबसूरती से निर्मित इन सहज कहानियों में जीवंत हो उठा है। हर कहानी ग्राहक पर केंद्रित है और ऊबर उनका मोबिलिटी पार्टनर है। यह कैम्पेन सरल, दिलचस्प एवं पारदर्शी है। मुझे उम्मीद और विश्वास है कि यह कैम्पेन मानवीय ब्रांड, ऊबर में एक और उज्जवल पहलू जोड़ देगा।

कैम्पेन के लॉन्च के बारे में अमेया वेलंकर, हेड ऑफ मार्केटिंग, ऊबर इंडिया साउथ एशिया ने कहा, ‘‘ऊबर में हम निरंतर लोगों के आवागमन के तरीके को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हेलेबल्स हमारे विस्तार एवं वृद्धि की स्ट्रेट्जी का एक बड़ा हिस्सा हैं और छोटे से समय में ही ये श्रेणियां हमारे उपभोक्ताओं की चहेती बन गई हैं। हमारे किफायती हेलेबल पोर्टफोलियो, ऑटो एवं मोटो के द्वारा हमारा उद्देश्य अपने प्लेटफॉर्म को भारत के लाखों दृढ़ महत्वाकांक्षियों के लिए आसानी से उपलब्ध बनाना है, जो अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और अपने प्रियजनों के लिए जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। हमारा नया कैम्पेन इन दृढ़ महत्वाकांक्षियों की वास्तविक कहानियों को प्रस्तुत कर उनकी अदम्य भावना को सम्मानित करता है और दर्शाता है कि हम उनके दैनिक सफर में किस प्रकार उनका साझेदार बनने की योजना बनाते हैं।

पहली फिल्म, रनअवे ब्राईड एक महिला की वास्तविक कहानी को जीवंत करती है, जिसे अपनी शादी के दिन ही एक महत्वपूर्ण परीक्षा में बैठना है। यह फिल्म उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं निश्चय को दर्शाती है और ऊबर मोटो को उसके गंतव्य तक पहुंचने के तीव्र साधन के रूप में स्थापित करती है। दूसरी फिल्म, कैफे डिलाईट एक मूक व बधिर युवा की कहानी है, जो विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए एक कैफे का मैनेजर बनता है। इसमें दर्शाया गया है कि ऊबर ऑटो राईड किस प्रकार प्रतिदिन लाखों भारतीयों को सुगम व आसान अनुभव प्रदान करती है।

तीसरी फिल्म, रिटर्न टू वर्क में एक युवा मां और एक सरकारी अधिकारी को दिखाया गया है, जो अपने मातृत्व को अपने करियर के लक्ष्य एवं जिम्मेदारियों के बीच बाधा नहीं बनने देती है। इसके ऊबर ऑटो को आवागमन के एक सुरक्षित साधन के रूप में दिखाया गया है और लाखों महिलाओं की अदम्य भावना को सम्मानित किया गया है, जो पारिवारिक एवं व्यवसायिक जिम्मेदारियों को सहजता से निभाती हैं। चौथी फिल्म, ब्लड डोनेशन में एक दृढ़निश्चित और जिम्मेदार युवक दिखाया गया है, जो एक प्रतिष्ठित नौकरी की कतार में खड़ा है, पर अपने दोस्त के जरूरतमंद पिता को रक्तदान करने का तरीका खोज निकालता है। इसमें ट्रैफिक के बीच से भी सुगमता से आगे बढ़ते रहने का ऊबर मोटो का मुख्य प्रस्ताव दिखाया गया है। इन चारों कैम्पेन फिल्मों को हिंदी, कन्नड़, तमिल, बंगाली, मराठी, और तेलुगू भाषाओं में बनाया गया है। ये फिल्में आज से विभिन्न ओन्ड, पेड, सोशल, इन्फ्लुएंसर, और डिजिटल चैनलों पर तथा टीवी, सिनेमा, ओओएच और ओटीटी पर प्रसारित होंगी। कैम्पेन का क्रिएटिव डेवलपमेंट एफसीबी इंडिया ने किया है, सोशल एम्प्लीफिकेशन स्ट्रेट्जी व क्रियान्वयन देंत्सू वेबचटनी का है, और मीडिया प्लानिंग व खरीद में मीडियाकॉम ने सहयोग किया है।

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