जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर ने पारादीप ईस्ट क्वे टर्मिनल में वाणिज्यिक स्तर पर कामकाज का किया शुभारंभ

◆ जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर ने पारादीप ईस्ट क्वे टर्मिनल को विकसित करने के लिए 1,300 करोड़ रुपये का निवेश किया है

शब्दवाणी समाचार, रविवार 15 मई 2022, नई दिल्ली। जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत में बंदरगाह क्षेत्र की अग्रणी कंपनी है तथा 13 बिलियन डॉलर की परिसंपत्ति वाले जेएसडब्ल्यू ग्रुप का हिस्सा है, जिसने ओडिशा के पारादीप ईस्ट क्वे टर्मिनल में वाणिज्यिक स्तर पर कामकाज शुरू कर दिया है। यह पारादीप पोर्ट ट्रस्ट में पूरी तरह से मशीनी सुविधाओं वाला टर्मिनल है, तथा कोयले की ढुलाई के संबंध में इसकी वार्षिक क्षमता 30 मिलियन टन है। इस कोयला टर्मिनल को केप कंप्लायंट टर्मिनल के रूप में बनाया गया है और पारादीप पोर्ट पर तल की साफ-सफाई का काम पूरा होने के बाद यह काफी बड़े आकार के जहाजों को संभालने में सक्षम होगा। यह टर्मिनल में प्रतिदिन 25 रेक उतारने की क्षमता से सुसज्जित है, और यह एक साथ दो जहाजों पर सामानों को लादने में सक्षम है। इस टर्मिनल के बुनियादी ढांचे को उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, जिससे बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों के लिए कुल मिलाकर लॉजिस्टिक्स की लागत में निश्चित तौर पर कमी आएगी। कंपनी ने पारादीप पोर्ट पर इस टर्मिनल की स्थापना के लिए लगभग 1,300 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

पारादीप पोर्ट ट्रस्ट ने 30 साल के लिए निर्माण, संचालन एवं हस्तांतरण के आधार पर पूरी तरह से मशीनी सुविधाओं से सुसज्जित इस कोयला टर्मिनल को विकसित करने की जिम्मेदारी जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर को सौंपी है। इस कोयला टर्मिनल के चालू होने के बाद, जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर की कार्गो संभालने की मौजूदा क्षमता 150 MTPA को पार कर गई है। कंपनी ने वित्त-वर्ष 2024 तक कार्गो संभालने की अपनी कुल क्षमता को 200 MTPA तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

पारादीप में अपने कोयला टर्मिनल के बारे में बताते हुए, श्री अरुण माहेश्वरी, ज्वाइंट एमडी एवं सीईओ, जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर, ने कहा, "पारादीप बंदरगाह कोयले की आवाजाही के लिए सबसे आकर्षक समुद्री मार्ग बना हुआ है। इस टर्मिनल के चालू होने से, भारत अब कुशल संचालन के साथ बहुत बड़े आकार के शिपमेंट की पेशकश कर सकता है। पिछले कुछ महीनों के दौरान, पूरी दुनिया में भाप बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कोयले की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे ताप विद्युत संयंत्रों और अन्य कोयला आधारित उद्योगों को घरेलू कोयले पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। घरेलू कोयले की मांग की कमी को पूरा करने के नजरिए से देखा जाए, तो इस कोयला टर्मिनल की शुरुआत एकदम सही समय पर हुई है। हमें उम्मीद है कि उच्च उत्पादकता और बड़े आकार के शिपमेंट के जरिए, हमारे कोयला कार्गो ग्राहकों के लिए कुल मिलाकर लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी आएगी। देश प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए भारत में कुल तापीय कोयले की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है और हम अपनी ओर से घरेलू उत्पादकों द्वारा मांग को अधिकतम पूरा करने का प्रयास करेंगे। हमें आशा है कि यह कोयला टर्मिनल इस दूरदर्शी यात्रा का एक अभिन्न हिस्सा बनने वाला है।

पारादीप बंदरगाह पर जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक लौह-अयस्क टर्मिनल भी मौजूद है, जो सालाना 10 मिलियन टन लौह अयस्क/पैलेट को संभालने में सक्षम है। इस लौह अयस्क टर्मिनल ने मार्च 2022 के महीने में एक ही पोत में 1.4 लाख टन का लदान किया है, जो अब तक किया गया सबसे अधिक लदान है। लौह अयस्क टर्मिनल को 48 घंटों के भीतर बहुत बड़े आकार के जहाजों पर लदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और हाल ही में प्रति दिन 1 लाख टन से अधिक लदान की उच्चतम क्षमता हासिल की है, जो भारत के किसी भी बंदरगाह द्वारा अब तक की सर्वश्रेष्ठ क्षमता है।

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