मुक्ति के साधन पर आर्य गोष्ठी सम्पन्न

शब्दवाणी समाचार, शनिवार 23 जुलाई 2022, गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "मुक्ति के साधन" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कोरोना काल में 419 वां वेबिनार था। मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र ने मुक्ति के स्वरूप एवं उसके साधनों पर विस्तार से चर्चा की।उन्होंने कहा कि मुक्ति जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य है।मुक्ति की स्थिति में व्यक्ति सांसारिक दुखों से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। मुक्ति की उच्चतम स्थिति को प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन के हमारे क्रिया - कलाप की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।जब व्यक्ति प्रकृति के नियमों का पालन करता है तथा अधर्म, अविद्या,कुसंग एवं कुसंस्कारों से दूर रहता है इसके साथ साथ सत्य भाषण,परोपकार,विद्या एवं धर्म की वृद्धि का पूरी तन्मयता से प्रयास करता है तो उसका जीवन मुक्ति की ओर अग्रसर होता है। मुक्ति की इस साधना को प्राप्त करने के लिए ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना एवं उपासना की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

महर्षि दयानन्द सरस्वती के अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश का सन्दर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि मुक्ति के साधनों के नियमित अभ्यास से हमारे नियमित जीवन के सभी प्रकार के क्लेश एवं तनाव पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं।आज के समय में ईश्वर भक्ति का सच्चा स्वरूप समाप्त हो रहा है और केवल बाह्य आडम्बर बढ रहा है इसी कारण समाज में पारस्परिक अविश्वास और समस्याएं भी बढ रहीं हैं।अष्टांग योग की साधना का सच्चा साधक स्वयं भी प्रसन्न रहता है और समाज में भी निष्काम कर्म के द्वारा स्वस्थ वातावरण तैयार करता है।मुक्ति के साधनों में षट्क सम्पत्ति के रूप में शास्त्रों में वर्णित शम,दम, उपरति,तितिक्षा,श्रद्धा एवं समाधान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर का सच्चा साधक पर्वत के समान कष्ट आने पर भी घबराता नहीं है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि निष्काम सेवा कर्म ही मुक्ति का प्रथम चरण है। मुख्य अतिथि आनन्द सिंह आर्य (करनाल) व अध्यक्ष रजनी चुघ ने भी मुक्ति के साधनों पर चर्चा की। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने वेदानुकूल जीवन पथ पर अग्रसर होते हुए परोपकार के कार्यों यज्ञ योग को मुक्ति का साधन बताया। गायिका प्रवीना ठक्कर,कमलेश चांदना,कौशल्या अरोड़ा,ईश्वर देवी,कमला हंस,रजनी गर्ग,दीप्ति सपरा,कुसुम भंडारी,जनक अरोड़ा,प्रतिभा कटारिया,सुनीता अरोड़ा,आशा आर्या,संतोष धर आदि के मधुर भजन हुए।

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