क्या आयुर्वेदिक इलाज से ठीक हो सकती है निसंतानता की समस्या?

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 8 सितम्बर 2022, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। निसंतानता एक ऐसा दोष है जिससे महिला और पुरुष दोनों ही पीड़ित हैं। भारत में हर 10 से 15 प्रतिशत कपल फर्टिलिटी की दिक्कत से परेशान है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की फर्टिलिटी रेट 2015 से 2021 में 2.2 से 2.0 तक पहुंच गई है। आमतौर पर टेस्ट से पहले 35 प्रतिशत महिलाओं को ही इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन कई मामलों में 35 प्रतिशत पुरुष भी जिम्मेदार होते है। और तो कई मामलों में 20 प्रतिशत महिला और पुरुष शामिल हो सकते हैं। यूं तो निसंतानता की समसया के लिए कई उपचार मौजूद है। लेकिन आज हम इस लेख में जानेंगे की क्या आयुर्वेदिक इलाज से निसंतानता की समस्या ठीक हो सकती है

आयुर्वेदिक की बात करें तो जीवन का विज्ञान है। आयूर्वेद इलाज में इनफर्टिलिटी का इलाज सभंव है और बिना सर्जरी के नेचुरल तरीके से समस्या को ठीक किया करता है। एलोपेथी दवाई कितनी भी अच्छी क्यों ना हो या बिमारी प्रबंधन पर ध्यान देता हो कई मामलों में हाथ खड़े कर देता है। जबकि आयूर्वेदा हमें ज्ञान देता है की बिमारी को जड़ से खत्म कैसे करें। आयूर्वेद की हर्बल दवाई के सेवन से शत-प्रतिशत कामयाबी मिलती है। इंफर्टिलिटी की समस्या को लेकर अभी भी मेडिकल साइंस भी उतना कारगर नहीं जितना आयूर्वेद ने सफलता पाई है। 

आयूर्वेद में उपचार की बात करें तो इंफर्टिलिटी का निवारण हर्बल दवाई और पंचकर्मा से इलाज किया जाता है। यह थेरेपी इंफर्टिलिटी और शरीरक कारकों तथा असंतुलन हर्मोन को ठीक करने में मदद करता है। इससे शरीर में विषैले पदार्थों को बहार निकालता है जिससे आपका शरीर और ज्यादा सक्रिया महसूस करता है। पंचकर्म का मतलब ही पांच क्रियाएं है इस प्रकार से हैं। पंचकर्मा के पहले चरण वमन में आपको उल्टी करवाकर मुंह के दोष को बहार निकालना होता है जिससे शरीर शुद्ध होता है। दूसरे चरण में विरेचन में भी ऑयलेशन और फॉमेंटेशन से गुजरना पड़ता है। विरेचन की प्रक्रिया में जड़ी-बूटी खिलाई जाती है। जिसकी मदद से आपके आंत से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है। तिसरे चरण बस्ती में आपके गुदामार्ग या मूत्रमार्ग से औषधि को शरीर में प्रवेश कराया जाता ताकि रोग का इलाज कर सकें। इसमें तरल पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि तेल, दुध और घी को आपके मलाशय तक पहुंचाया जाता है। चौथे चरण नस्य में आपके नाक के माध्यम से औषधि को शरीर में प्रवेश करवाया जाता है। जो आपके सिर के ऊपर वाले भाग से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है। आखिरी और पांचवे चरण रक्तमोक्षण में आपके शरीर में खराब खून को साफ किया जाता है। खून साफ ना होने की वजह से शरीर में होने वाली बीमारी से बचाने में रक्तमोक्षण प्रक्रिया बहुत कारागर साबित होती है। 

साथ ही अपने डाइट में बदलाव करें जैसे कि जंक फूड की बजाय आप दिन में एक बार फल जरुर खाये, जितना हो सके पानी पीए, डाइट में आंवला, अनार, मौसमी, और फाइबर को शामिल करें। अगर आप शाकाहारी हैं तो प्रोटिन के लिए आप सब्जी स्रोत में अलसी के बीज, अंजीर या ड्राय फूट्स भी शामिल करें। इसके अलावा आप योग जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा से हुई बातचीत पर आधारित है। और सही सेवन और उसकी उचित मात्रा जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। 

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