ओ३म् परमात्मा का मुख्य और निजनाम : केके अरोड़ा
शब्दवाणी समाचार, सोमवार 17 अक्टूबर 2022, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, ऋषिकेश। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान गाजियाबाद द्वारा परमार्थ निकेतन,ऋषिकेश में स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के सानिध्य में आयोजित ध्यान योग शिविर के दूसरे दिन शिविर उद्घाटन श्रद्धेय स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अध्यक्ष,परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश ने गंगा आरती में अखिल भारतीय ध्यान योग शिविर के आयोजकों को महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक शिक्षा मंत्री भारत सरकार ने दीप प्रज्वलित कर किया।पूज्य स्वामी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हाथ की स्वच्छता हृदय की स्वच्छता है, जब हृदय को स्वच्छ करते हैं,जब हृदय को स्वच्छ करते हैं तो दिल बदलता है,जब दिल बदलता है तो दिन बदलता है,जो कुछ दिल से करते हैं,पक्का मानिए बात बन जाती है।इसलिए सुबह उठकर ध्यान करें शाम को अपनी बैलेंस शीट बनाएं अपने से पूछें मेरे भीतर क्या चल रहा है? नारी घर के भीतर और नारी घर के बाहर नारी के भीतर क्या चलता है? परिवार में सबसे पहले परवाह करनी हो तो घर की माता की, फिर धरती माता और फिर भारत माता की,अपनी तकदीर बदलनी हो तो ध्यान करें।देश की तकदीर बदलनी हो तो यह मिट्टी,यह पहाड़ और यह जल,इनका ध्यान रखना होगा।
साध्वी डा.भगवती सरस्वती ने परमार्थ निकेतन में योग शिविर लगाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि योग ज्ञान साधना की गहराइयों में जाएंगे तो आनंद की अनुभूति होगी,अन्दर से आत्मिक खुशी और शांति प्राप्त होगी।बढ़िया कार्य करने पर रिजल्ट भी अच्छा मिलेगा।उन्होंने कहा की प्रकृति की लौकिक वस्तुओं में वह आनन्द नहीं मिलेगा जो सर्वांतर्यामी,सच्चिदानन्द स्वरूप परमात्मा के सानिध्य में अपने भीतर मिलेगा उन्होंने आगे कहा कि आज लोग अपने पास होने का जिन लौकिक वस्तुओं का सपना देखते हैं,उससे कहीं ज्यादा अमेरिका में मेरे पास वह वस्तुएं थीं,उन सब वस्तुओं को छोड़ के परमानंद की तलाश में वह भारत आई थीं वह शांति वा आनन्द यहां आकर उन्हें मिला जोकि उन मूल्यवान वस्तुओं में नहीं था।उन्होंने कहा नींव मजबूत नहीं होगी तो थोड़े से तूफान में आप गिर जायेंगे इसलिए यम,नियम, आसन, प्राणायाम,प्रत्याहार, धारणा,ध्यान समाधि द्वारा नींव मजबूत कर इस और बढ़ो,योग जीवन जीने की कला है।
संस्थान के अध्यक्ष श्री के के अरोड़ा ने बताया कि ओ३म् परमात्मा का मुख्य और निजनाम है,जब तक मन में उसके प्रति प्रेम वात्सल्य नहीं होता,तब तक उसे नहीं पाया जा सकता,मन की चंचलता को भी दूर करना होगा।पतंजलि के 24 वें सूत्र में कहा है तस्य वाचका प्रणव: अर्थात ओ३म,अकार,उकार,मकार की विस्तृत चर्चा की,ॐ रूपी परसमणि से जो छू जायेगा विकार रहित हो जाएगा। योगी अशील कुमार जी ने साधकों को सूक्ष्म व्यायाम कराये और उसके लाभों की चर्चा की। वरिष्ठ योग शिक्षिका वीना वोहरा ने सूर्य नमस्कार,मण्डूकासन, मकरासन,सिंह गर्जना का अभ्यास कराया एवं इसके लाभों की चर्चा की। योगी प्रवीण आर्य ने ईश भक्ति के दो भजन सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। संस्थान के महामंत्री दयानन्द शर्मा ने (अल्फा मेडिटेशन) यौगिक ध्यान,सातों चक्रों पर,आखें बंद रखते हुए दो दो मिनट ध्यान केन्द्रित कराते हुए,उनके कलर वा ध्वनि की जानकारी देते हुए नासिका से सांस भरके मुख से छोड़ने का अभ्यास कराया, संस्थान के उपाध्यक्ष श्री मनमोहन वोहरा ने पद्मासन में बैठकर अल्फा मेडिटेशन का सुन्दर डेमोस्ट्रेशन दिया।पश्चात शवासन में विश्राम कराया और उसके लाभों की चर्चा की। वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अशोक शास्त्री ने हास्यासन कराए। योग शिक्षक शेर सिंह शास्त्री ने शान्ति पाठ ओर वैदिक प्रार्थना से सत्र को सम्पन्न किया।
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