एआईसीटीई ने विभिन्य भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पुस्तकों पर कैलेंडर लॉन्च

शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 2 दिसम्बर 2022, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844नई दिल्ली। भारतीय भाषाओं और मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की तर्ज पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने टेक्निकल एजुकेशन तक सभी की पहुंच उपलब्ध कराने के उदेशय  से 29-11-2022 को इंजिनियरिंग की किताबों पर चर्चा हेतु कैलेंडर लॉन्च किया। अलग-अलग भारतीय भाषाओं में अंडरग्रेजुएशन और डिप्लोमा लेवल की किताबों पर यह चर्चा कैलेंडर अनुसार की जानी है किताबों की सीरीज पर विचार-विमर्श का पहला हिस्सा 31 जनवरी 2023 को पूरा होगा। इस सेशन में हिंदी, उड़िया और मराठी मीडियम में इंजीनियरिंग किताबों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही पांच प्रमुख क्षेत्रों के लिए दूसरे साल की इंजीनियरिंग की किताबों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। इन पांच अलग-अलग पाठ्यक्रमों की किताबों में मैकनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्युनिकेशन, सिविल और कंप्यूटर साइंस शामिल है। एआईसीटीई की इंजीनियरिंग की किताबों पर फरवरी 2023 से शुरू होने वाले विचार-विमर्श में दूसरी भाषाओं, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मलयालम, उर्दू और असमिया में छपने वाली  किताबों पर चर्चा होगी।  

एआईसीटीई के फैकल्टी डिवेलपमेंट सेल के निदेशक डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव के स्वागत भाषण से यह कार्यक्रम शुरू हुआ। उन्होंने 12 भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की किताबों के विकास के लिए एआईसीटीई की पहल को समन्वित किया। नई दिल्ली स्थित एआईसीटीई के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा निर्देशों के अनुसार शिक्षण वअध्यापन यथासंभव छात्रों हेतु मातृभाषा में होने चाहिए .यदि हम नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले विश्व के  शीर्ष 10 राष्ट्रों का अध्ययन करें तो हम पाएंगे कि छात्र वहां प्रारंभिक शिक्षा से लेकर डॉक्टरेट तक का अध्ययन अपनी मातृभाषा में करते हैं।  

एआईसीटीई के उपाध्यक्ष प्रोफेसर एम.पी. पुनिया ने कहा सालों से हम तकनीकी शिक्षा में छात्रों की समझ और वैचारिक स्पष्टता को गहरा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह तभी होगा जब हम उन्हें उनकी अपनी भाषा में सीखने का विश्वास दिला सकें। उच्च शिक्षा स्तर पर अंग्रेजी भाषा का सामना करने का डर कई छात्रों के लिए पेशेवर क्षेत्र में प्रवेश करने में बाधाएँ पैदा कर रहा है। ये पुस्तकें शिक्षा तक पहुंच, शिक्षा की गुणवत्ता और हमारे छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ावा देंगी इंजीनियरिंग बुक्स पर हुए डिस्कशन में फर्स्ट ईयर की जिन बुक्स को कवर किया गया, उनमें मैथेमेटिक्स 1 एंड 2, एप्लाइड फिजिक्स-1, अप्लाइड केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और एनवॉयरमेंटल साइंस शामिल है। यह सभी किताबें डिप्लोमा लेवल की है। ऑनलाइन पैनल डिस्कशन में अंडरग्रेजुएट लेवल की नौ किताबों पर चर्चा होगी, जिसमें केमिस्ट्री-1, प्रोग्रामिंग फॉर प्रॉब्लम सॉल्विंग, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स और डिजाइन, बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, वर्कशॉप/मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज, फिजिक्स (इंट्रोडक्शन टु इलेक्ट्रोमैग्नेटिक थ्योरी) की किताबें शामिल हैं। इसके अलावा फिजिक्स (इंट्रोडक्शन टु मैकेनिक्स), कंप्यूटर साइंस की इंजीनियरिंग ब्रांच मैथेमैटिक्स-1-कैलकुलस और लिनियर अल्जेब्रा भी पैनल डिस्कशन का हिस्सा बनेंगी। इसके अलावा इंजीनियरिंग के दूसरे साल की 5 किताबें भी इस डिस्कशन सीरीज का हिस्सा बनेंगी। इसमें पाइथन प्रोग्रामिंग, मैटलैब में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी वर्कशॉप, फ्लूइड मैकेनिक्स, फ्लूइड मशीन, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स और डाटा स्ट्रक्चर्स थ्योरी एंड प्रैक्टिकल शामिल होंगी।    

एआईसीटीई ने भारतीय भाषाओं में पाठय पुस्तके  प्रदान करने के लिए 2021-22 में टेक्निकल बुक लेखन की योजना शुरू की है। इसके तहत हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, गुजराती, कन्नड़, पंजाबी, उड़िया, असमी, उर्दू और मलयालम में स्टडी मटीरियल प्रदान प्रदान किया जाएगा। इन किताबों को आईआईटी, सीएफटीआई, एनआईटी, आईआईआईटी, एआईसीटीई की ओर से मान्यता प्राप्त संस्थानों में पढ़ाया जाएगा। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की तर्ज पर शिक्षा मंत्रालय के व़िज़न् के अनुसार है। इन किताबों के माध्यम से भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने पर फोकस रखा जाएगा। इससे छात्रों की समझ के स्तर में सुधार आएगा और टीचर और छात्रों के बीच पढ़ाई के नतीजे भी सुधरेंगे। संबंधित राज्यों के तकनीकी शिक्षा विभाग की सहायता से एआईसीटीई राज्य में हर डिग्री और डिप्लोमा लेवल के संस्थानों की लाइब्रेरी के लिए भारतीय भाषाओं में एक सेट किताबें वितरित कर रहा है। 2022-23 में  एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष की मौलिक किताबें अंग्रेजी में लिखने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके बाद इन किताबों का 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।

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