द न्यू शॉप ने अनूठे “एम्प्लॉई टु एंटरप्रेन्योर” प्रोग्राम की किया शुरुआत

 

● इसका उद्देश्य अग्रिम मोर्चे पर रहने वाले रिटेल कर्मचारियों को इंट्राप्रेन्योरशिप बंनाना 

● इस पहल के माध्यम से ब्रांड का उद्देश्य अपने स्टोर मैनेजर के लिए कारोबारी बनने के अवसरों का निर्माण करना और स्टोर का मालिक बनने के सफर में उनकी मदद करना

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 15 दिसम्बर  2022, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। भारत की अलग-अलग चैनलों से कारोबार करने की सुविधा देने वाली कंपनी, द न्यू शॉप ने पहली “एम्प्लॉई टु एंटरप्रेन्योर” पहल के विजेताओं की घोषणा की। इस कार्यक्रम के माध्यम से, ब्रैंड अपने स्टोर मैनेजरों का चयन कर रहा है और उन्हें प्रशिक्षण दे रहा है, ताकि वह अपने करियर की राह में आगे बढ़ सके और स्टोर के मालिक बन सकें। यह कदम भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने के कंपनी के विजन से तालमेल रखता है और कंपनी के अंदर और बाहर उद्यमशीलता के इकोसिस्टम को बढ़ावा देता है। रिटेल इंडस्ट्री में अपनी तरह के पहले प्रोग्राम के साथ, कंपनी पारंपरिक मार्ग से आगे बढ़कर अपने कर्मचारियों को भविष्य में कारोबारी बनने के लिए सशक्त कर रही है। यह रणनीतिक कदम न्यू शॉप को अपने लक्ष्य के और करीब लाया है। इससे कंपनी उद्यमिता के साथ योग्य कर्मचारियों को स्वतंत्र रूप से स्टोर चलाने की सुविधाएं देने के लिए अग्रिम मोर्चे पर उभरकर सामने आई है। 

द न्यू शॉप की सह-संस्थापक आस्था एल्मास्ट ने इसी विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा, “हम रिटेल के इतिहास में पहले ब्रैंड है, जिन्होंने इस तरह का अभिनव कार्यक्रम चलाया। हमारे रिटेल कर्मचारी हमारे सबसे बेहतरीन और योग्य बिजनेस पार्टनर है। यह उनके योगदान की पहचान करने और उन्हें पुरस्कृत करने का हमारा तरीका है। यह उम्मीदवारों और उनके परिवारों के लिए उनकी जिंदगी बदलने वाला लम्हा होगा। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से हम अपने संस्थान में उद्यमशीलता की भरपूर क्षमता रखने वाले प्रतिभाशाली कर्मचारियों की पहचान करने में सक्षम होंगे। वह न सिर्फ हमारे बिजनेस पार्टनर होंगे, बल्कि उनके पास वित्तीय सुरक्षा और प्रगतिशील भविष्य होगा। इससे हम अपने कर्मचारियों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेंगे और दूसरों को लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत करने और कभी भी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस कॉन्सेप्ट के पीछे का आइडिया बेहद साधारण है, जितने ज्यादा एंटरप्रेन्योर होंगे, रोजगार की संभावनाएं भी उतनी ही बढ़ेंगी।

अपने पहले चरण में, ब्रैंड ने अपने 15 शॉर्टलिस्टेड उम्मीदवारों में दो टॉप परफॉर्मिंग स्टोर मैनेजर का चयन किया। पारस वैद और शशिकांत अब फ्रेंचाइजी पार्टनर होंगे। वह उत्तरप्रदेश के नोएडा और बनारस में क्रमश: सच्चे उद्यमी के रूप पर स्टोर्स का पूर्ण स्वतंत्रता से संचालन कर रहे हैं। ( इन्हीं स्टोर्स का वह पहले भी प्रबंधन कर रहे थे)। न्यू शॉप उन्हें वित्तीय और मार्केटिंग में सहायता प्रदान कर उनकी हर स्तर पर मदद करेगा। कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें तकनीकी कौशल में पारंगत बनाया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें जरूरी विशेषज्ञता प्रदान की जाएगी जिससे उन्हें अपने नए प्रयासों में सफलता मिलना सुनिश्चित हो सके। 

उम्मीदवार का चुनाव योग्यता के आधार पर किया गया। इसमें  द न्यू शॉप में वर्षों की उनकी सफल सेवा, शैक्षिक योग्यता, अलग-अलग तरह का कौशल, इंडस्ट्री का अनुभव, प्रतिस्पर्धा का स्तर, नेतृत्व और सामाजिक कौशल, व्यापारिक प्रतिभा और गुण तथा कर्मचारियों की स्टोर मैनेजर के रूप में उनकी मौजूदा भूमिका का उल्लेखनीय योगदान देखा जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य दूसरे कारकों, जिसमें बिक्री का लक्ष्य पूरा करने की उपलब्धि, गोदामों और स्टॉक के प्रबंधन की क्षमता, क्रेडिट रेटिंग, कैश मैनेजमेंट से डील करने की उनकी विशेषज्ञता और स्टॉक ऑडिट इनपुट पर भी विचार किया जाता है। इसके अलावा ब्रैंड ऑपरेशन मीट्रिक्स के दायरे में ऑपरेशंस की टीम और प्रासंगिक हितधारकों से भी फीडबैक लेता है और उन्हें स्टैटिस्टिकल डेटा से सपोर्ट करता है। यह डेटा 6 महीने के दौरान इकट्ठा किया जाता है।  

इसके बाद, द न्यू शॉप शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के स्कोर का संकलन करता है। इस प्रक्रिया के अंतिम चरण के तहत उन्हें अपने संस्थापकों के साथ पैनल इंटरव्यू में हिस्सा लेना पड़ता है। इसके अलावा एचआर मूल्यांकन में 70 फीसदी से ज्यादा स्कोर हासिल करने वाले स्टोर मैनेजर और एचआर मैनेजरों द्वारा ईमानदारी और अनुशासन की जांच में खरे उतरने वाले कर्मचारी ही स्टोर मैनेजर बनने के योग्य होते हैं। इस पहल के तहत, द न्यू शॉप का इरादा 2023 में कर्मचारियों के स्वामित्व और उनके संचालन वाले स्टोर्स की स्थापना करना है। ब्रैंड का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा स्टोर मैनेजर्स को अपने दम पर विकास करने और भविष्य में द न्यू शॉप का स्वामित्व हासिल करने के लिए सशक्त बनाना है। यह पहल द न्यू शॉप में शारीरिक श्रम करने वाले ब्लू और ग्रे कॉलर कर्मचारियों के बड़ी संख्या में संस्थान को छोड़ने पर भी अंकुश लगाने में मददगार बनी है। यह एक असली चुनौती है, जो शुरू से ही रिटेल इंडस्ट्री में मौजूद रही है।

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