कैंसर का सफल इलाज संभव : डॉ.संग्राम सिंह साहू

शब्दवाणी समाचार रविवार 5 फरवरी 2023, ( के लाल) सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, गौतम बुध नगर। कैंसर रोग के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोगों को शुरुआत में पता नहीं चल पाता है हमारे यहां लोग अपने शरीर में होने वाले परिवर्तन या इस बीमारी के शुरू में लक्षणों के झूठ जागरुक नहीं हैं। जब तक तक वो समझ पाते हैं बीमारी काफी बढ़ जाती है। मेट्रो अस्पताल में डायरेक्टर एंड हेड मेडिकल ऑन्कोलॉजी हिमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी डॉ. आरके चौधरी ने बताया कि कैंसर का नाम सुनकर भले ही लोगों के मन में सिहरन उठती हो। मन घबरा जाता है, परिवार मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाता है। पर बहुत से लोगों ने कैंसर से मुकाबला किया और जीत हासिल की। हिम्मत और हौसले के बूते कैंसर जैसी घातक बीमारी पर जीत हासिल की। यह विजेता 10 से 15 साल बाद भी सामान्य लोगों की तरह सेहतमंद जीवन जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है, जो शरीर में बदलावों के कारण बढ़ती रहती हैं लेकिन जब ये कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर बढ़ती हैं और पूरे शरीर में फैल जाती हैं, तब यह शरीर के अन्य हिस्सों को उनका काम करने में कठिनाइयां उत्पन्न करने लगती हैं। इससे उन हिस्सों पर कोशिकाओं का गुच्छा गांठ या ट्यूमर बन जाता है। जिस अवस्था को कैंसर कहते हैं। यही ट्यूमर घातक होता है और लगातार बढ़ता रहता है। उन्होंने कहा कि कैंसर अब लाइलाज नहीं है बल्कि समय से पहचान होने पर सफल इलाज संभव है। कैंसर दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य कैंसर के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और रोग का जल्दी पता लगाने की जरूरत तथा कैंसर के उपचार पर ध्यान केंद्रित करना है।

सीनियर कंसलटेंट रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डॉ. पियूषा कुल्श्रेस्ठ ने बताया कि यदि हम अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहें और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह से चेकअप कराते रहें तो बीमारी का समय से पता चलने पर इलाज भी संभव है। विदेशों में ये बीमारी हमारे देश से ज्यादा है परंतु इससे होने वाली मृत्यु दर कम है। इसका करना है कि वो हमसे अपने स्वास्थ्य और शरीर को लेकर बहुत ज्यादा जागरूक हैं। उनका सामाजिक समर्थन हमसे ज्यादा अच्छा है। यह बीमारी केवल एक व्यक्ति के बीमारी नहीं है, बल्कि मरीज का पूरा परिवार इसका दर्द झेलता है। इस बार वर्ल्ड कैंसर डे की थीम है क्लोज द केयर गैप इसका मतलब है कि हमारे पड़ोसी या समाज में अगर कोई मरीज हैं तो हम जिस भी तरीके से उन की मदद कर सकते हैं वो हमारा समय हो, नैतिक समर्थन हो या फाइनेंशियल हो, यह कैंसर से लड़ाई में बहुत जरूरी है। दुनिया में अनेक लोग कैंसर को हराकर सुखी जीवन जी रहे हैं। मेरे अपने पिता भी इसका एक उधार है। उनको थर्ड स्टेज का कैंसर था। पिछले 18 सालों से बिल्कुल ठीक हैं। कैंसर का शुरुआती स्टेज  में पता चलने पर सर्जरी या रेडियो व कीमोथैरेपी से जड़ से खत्म किया जा सकता है। जहां महिलाओं में ब्रेस्ट में गांठ का होना, ब्रेस्ट से रक्त या किसी तरल पदार्थ का निकलना, ब्रेस्ट की बनावट में बदलाव आना जैसेे लक्षण देखते हैं। वहीं बच्चेदानी और बच्चे दानी के मुख के कैंसर के लक्षण में पीरियड के बीच में ब्लड आना या माहीना बैंड (रजोनिवृत्ति) होने के बाद फिर से ब्लीडिंग होना शामिल है। कैंसर के उपचार के विकल्प के रूप में सर्जरी, कैंसर की दवाएं या रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी शामिल हैं। भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा सबसे अधिक रिपोर्ट किया जाता रहा है। आमतौर पर 60 साल से अधिक आयु के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम सबसे अधिक देखा जाता है, हालांकि यह कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम अधिक रहता है। मैमोग्राम के माध्यम से इसका जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है। 

मेट्रो अस्पताल की यूनिट हेड डॉ. कनिका कंवर ने बताया कि कैंसर के कारण में तंबाकू के सेवन से, शराब और सिगरेट का सेवन करना, इन्फेक्शन, मोटापा, सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों और खराब लाइफस्टाइल कैंसर की प्रमुख वजहें हैं। कैंसर की आमतौर पर चार मुख्य स्टेज होती हैं। पहली और दूसरी अवस्था में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है या कैंसर सीमित जगह पर होता है। यह टिश्यूज़ की गहराई में नहीं फैलता। तीसरे स्टेज में कैंसर विकसित हो जाता है और ट्यूमर का आकार भी बढ़ सकता है या फिर कई ट्यूमर हो सकते हैं। शरीर के अन्य अंगों में इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथी और आखिरी स्टेज में कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है। जिसे मेटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है। डॉ.संग्राम सिंह साहू ने बताया कैंसर की बीमारी पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। हमारे पास इस बीमारी को लेकर एडवांस तकनीक से इलाज उपलब्ध है, परंतु कई बार मरीज के अस्पताल देर से पहुंचने या भ्रमित होकर इधर-उधर भटकने से बीमारी बढ़ जाती है। इसकी वजह से कहीं न कहीं स्वस्थ होने की दर में गिरावट आ जाती है।

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