हरियाणा सरकार ने डेलॉयट के साथ मिलकर अपनी पायलट परियोजना सफलतापूर्वक किया पूरा

◆ अपनी पायलट परियोजना करनाल जिले में पराली जलाने की घटनाओं के समाधान के लिए 

शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 31 मार्च 2023, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, करनाल। हरियाणा सरकार ने डेलॉयट की मदद से ‘क्रॉप रेसिड्यू मैनेजमेंट’ यानी फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) पर पायलट क्लाइमेट लीडरशिप परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इससे क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने और वायु प्रदूषण में कमी लाने में मदद मिली है। यह पायलट परियोजना करनाल जिले के रेड जोन यानी संवेदनशील गांवों में शुरू हुई थी और इसके परिणाम स्वरूप पराली जलाने की घटनाओं में 69 फीसदी तक कमी आई है।

इस पहल में जहां किसानों, समुदायों और निजी क्षेत्र के भागीदारों को एकजुट करना शामिल है, वहीं एक बहुभाषी मोबाइल एप्लीकेशन ‘कृषि यंत्र साथी’ पहुंच के  लिहाज से एक अहम भाग रहा है। इसे स्थानीय किसानों, विभिन्न कस्टम हायरिंग सेंटर्स (सीएचसी) और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) सहित सभी संबंधित हितधारकों को एकजुट करने के लिए तैयार किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य मशीनरी के कुशलतापूर्वक और तेजी से आवंटन के लिए, सही उपकरणों के मालिकों का फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए किसानों की उपकरणों की मांग का मेल कराना था। यह एप्लीकेशन स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हुए, पराली के अधिक किफायती और पर्यावरण के प्रति जागरूक उपयोग को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, करनाल जिले के किसानों को पराली जलाने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने और पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में उन्हें समझाने में मदद करने के लिए एक नया संचार और जागरूकता कार्यक्रम तैयार और लागू किया गया है। इसमें जागरूकता की एक कैम्पैग्न- रेडियो जिंगल, डोर टू डोर जागरूकता अभियान, समय-समय पर व्हाट्सऐप संदेश, “प्रोग्रेसिव फार्मर मस्कट- परिवर्तन प्रकाश” पर वीडियो जैसी पहल विकसित करना और लक्षित संदेश के साथ कैलेंडर और बैग वितरित करना शामिल है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा में निदेशक, आईएएस श्री नरहरि बांगड़ ने कहा, “प्रमाणित प्रयोग और एक कार्यशील, अनुकरणीय मॉडल के साथ, हम हरियाणा राज्य में 8 जिलों फतेहाबाद, सिरसा, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुना नगर, और करनाल को कवर करने की योजना बना रहे हैं।  यह परियोजना राज्य में लगभग 90 फीसदी आग की घटनाओं के लिए ये जिले ही जिम्मेदार हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, करनाल में उप निदेशक श्री आदित्य प्रताप डबास ने कहा, “हमारे विभाग की पर्याप्त मेहनत और सक्रियता के साथ, 2018 से अभी तक 702 सीएचसी और 3,860 किसानों को लगभग 90 करोड़ रुपये की सीआरएम एक्स-सीटू और इन-सीटू उपकरण सब्सिडी मिल चुकी हैं। इसके अलावा, वर्तमान वर्ष के लिए अनुमानित रूप से 18 करोड़ रुपये की उपकरण सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा करनाल जिले के ‘पराली फसल प्रबंधन’ अपनाने वाले हर किसान को 1,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी मिलेगी।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर और सस्टेनेबिलिटी लीडर विराल ठक्कर ने कहा, “फसल चक्रों के बीच खेतों में आग लगाना पूरे उत्तर भारत की एक बड़ी समस्या हो गई है, जिसका पर्यावरण पर खासा असर पड़ता है और इंसान को इसकी एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। पराली जलाने की कई वजहों में से एक सही समय पर सुपर सीडर्स और बेलर्स जैसे पराली हटाने के उपकरणों की उपलब्धता की कमी है। इससे छोटे और कमजोर किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और इसीलिए, डेलॉयट ने एक सुविधाजनक और टिकाऊ इकोसिस्टम उपलब्ध कराकर इस पहल को समर्थन दिया है, जिससे उपकरणों की उपलब्धता की कमी को दूर करने में मदद मिलती है। डेलॉयट उपकरणों की उपलब्धता की कमी के समाधान के लिए हरियाणा स्टेट सीएसआर ट्रस्ट के जरिये कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, करनाल को क्रॉप रेसिड्यू मैनेजमेंट (सीआरएम) उपकरण के 15 सेट उपलब्ध करा रही है, जिनमें ट्रैक्टर, स्लैशर, हे रेक्स, बेलर्स, ट्रॉली और लकी सीडर्स शामिल हैं। विभाग ने एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किसानों/ एफपीओ/ उद्यमियों का चयन किया है, जिन्हें कल करनाल में एक कार्यक्रम में उपकरण प्रदान किए जाएंगे।

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