गुर्दों को कैसे रखें सुरक्षित विषय पर जेपी हॉस्पिटल ने जागरुकता सत्र किया आयोजित

शब्दवाणी समाचार, बुधवार 29 मार्च 2023, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, गौतम बुध नगर। जेपी हॉस्पिटल ने आम जनता को किडनी के स्वास्थ्य के बारे में जागरुक बनाने और किडनी रोगों की रोकथाम के उद्देश्य से 28 मार्च 2023 को एक जागरुकता सत्र का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान किडनी रोगों के कारणों, लक्षणों एवं इनकी रोकथाम के उपायों पर रोशनी डाली गई। लोगों को बताया गया कि वे किस तरह अपनी किडनी के स्वास्थ्य के बनाए रख सकते हैं। किडनी रोगों के जल्द निदान एवं उपचार के बारे में जागरुकता बढ़ाना इसका मुख्य उद्देश्य था, ताकि किडनी रोग आगे बढ़कर  क्रोनिक या जानलेवा न बन जाए। सत्र के दौरान इन विशेषज्ञों ने की स्वास्थ्य पर चर्चा डॉ अमित के देवरा, डायरेक्टर, को-ऑर्डिनेटर, किडनी ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम, डिपार्टमेन्ट ऑफ यूरोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, डॉ अनिल प्रसाद भट्ट, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, डॉ विजय कुमार सिन्हा, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, डॉ लोक प्रकाश चौधरी, सीनियर कन्सलटेन्ट, डिपार्टमेन्ट ऑफ यूरोलोजी एण्ड रीनल ट्रांसप्लान्ट, डॉ स्वप्निल यशवंत गजवे, कन्सलटेन्ट, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट डॉ रवि कुमार सिंह, कन्सलटेन्ट, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट किडनी की सुरक्षा एवं किडनी ट्रांसप्लान्ट के बारे में बात करते हुए डॉ अमित के देवरा, डायरेक्टर, को-ऑर्डिनेटर, किडनी ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम, डिपार्टमेन्ट ऑफ यूरोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट ने कहा, ‘‘भारत में किडनी रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 

ऐसे में किडनी रोगों की रोकथाम एवं प्रबन्धन के बारे में जागरुकता बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। किडनी ट्रांसप्लान्ट कई दशकों से क्रोनिक किडनी रोगों के इलाज के लिए सुरक्षित एवं प्रभावी प्रक्रिया है, जिसमें सफलता की दर अधिक होती है और जटिलताओं की संभावना बहुत कम होती है। ट्रांसप्लान्ट से पहले मरीज़ की विस्तृत जांच की जाती है, ताकि यह तय किया जा सके कि मरीज़ में सर्जरी की जा सकती है और साथ ही कम्पेटिबल डोनर का मैच भी ढूंढा जा सके। जेपी हॉस्पिटल में यह प्रक्रिया प्रशिक्षित एवं अनुभवी सर्जनों की टीम के द्वारा आधुनिक चिकित्सा उपकरणों एवं तकनीकों की मदद से की जाती है। सर्जरी के बाद उचित देखभाल एवं दवाओं से ज़्यादातर मरीज़ ठीक हो जाते हैं, और अच्छी गुणवत्ता का जीवन जीते हुए अपनी सामान्य गतिविधियां कर सकते हैं। 

नेशनल किडनी फाउन्डेशन के मुताबिक दुनिया भर में 850 मिलियन से अधिक लोग किडनी रोगों से पीड़ित हैं। भारत में एक अनुमान के अनुसार, तकरीबन 17 फीसदी आबादी क्रोनिक किडनी रोगों का शिकार है। किडनी रोगों के मुख्य कारण हैं हाई ब्लड प्रेशर यानि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ और मोटापा। ट्रांसप्लान्ट के बाद की सावधानियों के बारे में बात करते हुए डॉ अनिल प्रसाद भट्ट, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट ने कहा, ‘‘अंग प्रत्यारोपण के बाद कुछ ज़रूरी ऐहतियात बरतने होते हैं, ताकि मरीज़ को इन्फेक्शन से बचाया जा सके और शरीर नए अंग को रिजेक्ट न करे। मरीज़ को डॉक्टर की सलाह के अनुसार, दवाएं, आहार और व्यायाम आदि का ध्यान रखना चाहिए। ट्रांसप्लान्ट कराने वाले मरीज़ को बीमार व्यक्ति के संपर्क में नहीं आना चाहिए, अपने हाथ नियमित रूप से धोने चाहिए और भीड़भाड़ से बचना चाहिए। इसके अलावा पशुओं के मल, कच्चे मांस और गैर-पास्चुरीकृत डेयरी प्रोडक्ट्स के संपर्क में भी न आएं। उन्हें सर्जरी के लिए लगाए गए चीरे का ख्याल रखना चाहिए, देखना चाहिए कि कहीं इन्फेक्शन के कोई संकेत तो नहीं दिख रहे जैसे लालगी, सूजन या पस आना। कोई भी समस्या होने पर तुरत अपनी नेफ्रोलोजी टीम से संपर्क करना चाहिए। इन सब सावधानियों को बरत कर ट्रांसप्लान्ट को सफल बनाया जा सकता और मरीज़ लम्बे समय तक गुणवत्तापूर्ण एवं स्वस्थ जीवन जी सकता है।

किडनी ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए जेपी हॉस्पिटल नोएडा किडनी डोनर की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान देता है। हमारे पास अब 800 से अधिक किडनी डोनर्स हैं जो स्वस्थ और सेहतमंद हैं। ये डोनर आर्थिक और सामाजिक रूप से उत्पादक जीवन जी रहे हैं, इनमें से किसी भी डोनर को अब तक किसी भी अन्य बीमारी या जटिलता के लिए न तो अस्पताल में भर्ती किया गया है, न ही किसी इलाज की ज़रूरत पड़ी है। डोनर्स की सुरक्षा को सुनिश्चित करना किसी भी मेडिकल रीसर्च का अभिन्न हिस्सा है। डोनेशन की पूरी प्रक्रिया में जांच से लेकर मॉनिटरिंग एवं फॉलो-अप केयर तक पूरी सावधानी बरती जाती है। जांच एवं स्क्रीनिंग के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल्स अपनाए जाते हैं, डोनर के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाती है। डॉक्टर, डोनर के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा सूचित सहमति प्रक्रिया को भी सावधानीपूर्वक पूरा किया जाता है, ताकि डोनर अंगदान के बारे में हर ज़रूरी पहलू, इसके फायदों, जोखिमों को समझ सके और सोच-समझ कर अंगदान का फैसला ले।’’ डॉ विजय कुमार सिन्हा, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट ने डोनर की सुरक्षा पर बात करते हुए कहा समय पर जांच एवं उपचार के द्वारा किडनी रोगों को क्रोनिक या जानलेवा बनने से रोका जा सकता है। नियमित रूप सं किडनी फंक्शन टेस्ट एवं जांच के द्वारा किसी भी किडनी समस्या का निदान समय पर जल्द उपचार शुरू किया जा सकता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से जेपी हॉस्पिटल किडनी रोगों के बारे में जागरुकता बढ़ाने और किडनी रोगों की रोकथाम के लिए प्रयासरत है। जेपी हॉस्पिटल किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि किडनी रोगों के मरीज़ उच्च गुणवत्ता का जीवन जी सकें। अस्पताल में किडनी रोगों के निदान और उपचार के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं हैं जैसे डायलिसिस, किडनी ट्रांसप्लान्ट। जेपी हॉस्पिटल समाज को सर्वोच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने और लोगों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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