टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों ने दी नाटक ताशेर देश की प्रस्तुति

 

शब्दवाणी समाचार, बुधवार 12 अप्रैल 2023, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, भोपाल। शहीद भवन में मंगलवार को टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा नाटक “ताशेर देश” को प्रस्तुत किया गया। यह नाटक रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित है और हिंदी अनुवाद रणजीत साहा ने किया है। नाटक का निर्देशन मनोज नायर द्वारा किया गया है। एक ऐसे राजकुमार की कहानी है जो अपने एकरस जीवन से ऊब चुका है और अपने सौदागर मित्र के साथ एक यात्रा पर निकल पड़ता है। जहां दुर्घटनावश वो दोनों एक नए देश में पहुँच जाते है जिसे राजपुत्र एक निमित् मानते है। उधर के लोग और उनका व्यवहार यंत्रवत् है सब कुछ नियमों से बंधा पूर्वनिर्धारित बलात् थोपे गए नियमों को पाबंदियों को ढ़ोते ताश्वंशी राजपुत्र और सौदागर से अचंभित भी है प्रभावित भी। राजा नियमों के पाबंदी के चलते राजपुत्र की चंचलता के लिए उसके बेबाक प्रवृत्ति के लिए निर्वासन की घोषणा करता है परंतु रानियाँ और अन्य दरबारी के मना करने पर निर्वासन दंड टल जाता है। धीरे-धीरे राजपूत्र के स्वतंत्र विचार, नवाचार चेष्टाएँ ताश्वंशियों में खासकर वहाँ की रानियों में एक नव संचार और आशा की लहर फैलाती है। नारी की अपनी वैचारिक स्वतंत्रता, प्रत्येक मनुष्यों की अपनी सृजन की परिकल्पना ही किसी भी समाज को महान बनाती है। कठोर बेमतलब नियमों के अनुकरण की जगह खुले दिमाग के साथ स्वच्छंद विचार को रख पाने का अधिकार ही मानव और समाज को एक सुखद अनुभव प्रदान करता है और उसी के साथ सकारात्मक परिणाम सामने आते है।

टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ पहले सेमेस्टर में रबीन्द्रनाथ टैगोर की रचना को मंचित करना एक सुखद अनुभव है जिसके माध्यम से उनकी लेखनी उनके विचार उनके दर्शन से विद्यार्थियों का टैगोर की विलक्षण प्रतिभा से एक अभूतपूर्व परिचय हो जाता है। रबीन्द्रनाथ टैगोर के नाटक या रचना मानव समाज में व्याप्त गहरे रहस्यों को खोलता है, प्रकृतिप्रेम हो या नारी सशक्तिकरण या फिर समाज कल्याण अपने खूबसूरत गीतों से काल्पनिक बिंबों से कलात्मक पहलुओं से उनकी लेखनी बड़े आसानी से एक अलौकिक दुनिया रचती है। प्रथम सत्र के विद्यार्थियों के साथ टैगोर के नाटक विसर्जन की सफल प्रस्तुति हो चुकी है, कक्षाभ्यास के दौरान हम मुक्तधारा और राजा को पढ़ रहे थे चुकी उसका फॉर्मेट थोड़ा विसर्जन जैसा जा रहा था तब विद्यार्थियों द्वारा ताशेर देश का सुझाव आया जो सभी को अच्छा लगा, लेकीन ये नाटक जितना देखने और पढ़ने में सरल दिखता है उतना ही कठीन इसे मंच के लिए तैयार करना था। नाटक के मर्म को मंतव्य को कोरस के माध्यम से एक विस्तार दिया गया पूर्वाभ्यास के दौरान कुछ प्रोसेस के जरिये कलाकारों द्वारा दृश्यों को एक आकार दिया गया।

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