ओम की उपासना करनी चाहिए : आचार्य विमलेश बंसल


शब्दवाणी समाचार, सोमवार 10 अप्रैल 2023, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "तस्य वाचक: प्रणव:" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह करोना काल से 524 वाँ वेबिनार था। वैदिक विद्वान आचार्या विमलेश बंसल दर्शनाचार्या ने कहा कि परमेश्वर एक निराकार सर्वव्यापक सर्वांतर्यामी सर्व शक्तिमान सर्वदेशीय सर्वत्र चेतन सत्ता है उसका बोधक नाम प्रणव है।क्योंकि प्रणव से तात्पर्य सर्वश्रेष्ठ सत्ता की उत्कृष्ट स्तुति करने से है।यह उत्कृष्ट स्तुति ओम् नाम से ही संभव है।क्योंकि यजुर्वेद के भाष्य में महर्षि दयानंद ने स्वयं लिखा है प्रणवै: ओंकारैः इससे स्पष्ट हो जाता है कि प्रणव शब्द ओंकार के लिए कहा गया है।ओ३म् शब्द में अव धातु होती है अवतीति ओ३म् जिसका अर्थ रक्षा करने वाला होता है अर्थात् ईश्वर हम सबका सर्वरक्षक है। 

ईश्वर और उसके नाम का संबंध पिता पुत्र जैसा है।यह संबंध प्रवाह से अनादि है स्वरूप से नहीं।अतः हम सबको ईश्वर के अपने और मुख्य  नाम के द्वारा ईश्वर की स्तुति,प्रार्थना और उपासना करनी चाहिए।क्योंकि ओ३म् नाम में ईश्वर के सभी गुण एक साथ आ जाते हैं जो उसके विराट स्वरूप अर्थात् विशाल अस्तित्व को दर्शाने में सक्षम हैं। अन्य नामों में एक एक गुण आता है जैसे - ईश्वर का एक नाम ब्रह्मा भी है किंतु ब्रह्मा नाम से सृष्टि कर्ता का ही बोध होता है पालन और संहार का नहीं पालन और संहार के लिए फिर विष्णु और महेश कहना होता है।

 किंतु ईश्वर तो एक होते हुए अनंत गुण कर्म स्वभाव वाला है जो कि ओ३म् में निहित हैं हमारे वेद सहित सभी शास्त्रों ने ओ३म् की ही महिमा का वर्णन किया है।अतः हमें उस परमेश्वर का ओम् नाम से ही जप करना चाहिए।तभी प्रकृष्ट और पूर्ण अंग समेटे सम्यक स्तुति, प्रार्थना,उपासना कर सकेंगे। मुख्य अतिथि डॉ. कल्पना रस्तोगी व अध्यक्ष नीलम गुप्ता ने ओम की महत्ता पर प्रकाश डाला और ओम का सिमरन करने की प्रेरणा दी। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ओम ईश्वर का निज नाम है उसी की उपासना करनी योग्य है। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा जब हम स्वांस लेते हैं तो सौ की ध्वनि होती है और छोड़ने पर हम की ध्वनि होती है यदि हम सौहम को दही की भांति बिलो दे तो सौ में से स हम में से ह हट जायेगा परमात्मा का मुख्य और निज नाम  ओ३म निकल कर आएगा यह जप ऑटो चलता है बस इसी से जुड़ने की आवश्यकता है,यही योग है,उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन भी किया। गायिका प्रवीना ठक्कर, रजनी चुघ, ईश्वर देवी, मृदुल अग्रवाल, जनक अरोड़ा, कुसुम भंडारी, कमलेश चांदना, कृष्णा गांधी, कौशल्या अरोड़ा, आशा शर्मा आदि के मधुर भजन हुए।

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