गाय ही क्यूँ? लाला हरदेव सहाय जी द्वारा लिखित पुस्तक का पुनर्लोकार्पण

शब्दवाणी समाचार, नरसिंह सेवा सदन पीतमपुरा दिल्ली में "गाय ही क्यूँ?" पुस्तक का लोकार्पण गोऋषि पथमेड़ा संत दत्त शरणानंद जी महाराज जी एवं श्रद्धेय स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज की परम पावन उपस्थिति में हुआ। सामान्य जन को समझ में आने वाली सरल भाषा की यह पुस्तक प्रख्यात गोभक्त व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाला हरदेव सहाय जी ने 1946 में लिखी थी जिसकी भूमिका भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने लिखी है।

 संतश्री दत्त शरणानंद जी महाराज ने लाला हरदेव सहाय जी को श्रद्धांजलि अर्पित की एवं कहा कि गोवंश की रक्षा के लिए लाला हरदेव सहाय जी जैसे पूर्वजों के संस्कार हमारे साथ हैं उन्होंने कहा आज धर्म मज़हब नही बल्कि केवल धन के लोभ में गोहत्या हो रही है, लोभ पाप का बाप है। गाय दया की प्रतिमूर्ति है, गाय हिंदुओं के लिए ही नही सबके लिए लाभकारी है, प्राचीन काल एवं मुस्लिम शासकों के काल मे भी गोहत्या बंदी रही किंतु अंग्रेजों ने गोहत्या को वैधानिकता प्रदान की,  गोहत्या बंदी का केंद्रीय कानून बनने पर ही भारत से गोहत्या का कलंक समाप्त होगा

भारत गोसेवक समाज संस्था के महासचिव श्री राजकुमार अग्रवाल जी ने बताया कि 1946 में संस्था के संस्थापक श्री लाला हरदेव सहाय जी द्वारा लिखित इस पुस्तक कि भूमिका भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा लिखी गई है।  पुस्तक में लाला हरदेव सहाय जी ने वेद महाभारत के उदाहरण सहित पंचगव्य की महिमा का उल्लेख किया है अर्थात देसी गाय का गोबर गोमूत्र दूध दही घी मानव शरीर और इस प्रकृति के लिए क्यों आवश्यक है इस पुस्तक में यह बताया गया है। भारतीय व विदेशी महापुरुषों द्वारा गाय के महत्व पर समय-समय पर दिए गए उद्बोधन का प्रकाशन भी इस पुस्तक में किया गया है लाला हरदेव सहाय जी गोभक्त एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे आपने 1921 असहयोग आंदोलन में भाग लिया और मियांवाली जेल पाकिस्तान में बंद रहे इसी के साथ-साथ 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेते हुए आप ओल्ड सेंट्रल जेल लाहौर में भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में रहे, आर्य समाज के प्रख्यात संत स्वामी श्रद्धानंद जी आपके जेल के साथी रहे, स्वामी श्रद्धानंद जी ने ही आप से वचन लिया था कि आप सदैव हिंदी का प्रचार व गौ सेवा के कार्यों में रत रहेंगे जिसका पालन लाला हरदेव सहाय जी ने आजीवन किया। जिनका जीवन काल 26 नवंबर 1892 से 30 सितंबर 1962 तक था।

कार्यक्रम का प्रारंभ आचार्यों ने स्वस्ति वाचन से किया एवं प्रख्यात कवयित्री शशि पांडेय जी ने गोमाता पर अत्यंत मधुर गीत गायन किया। कार्यक्रम में विशेष रुप से संत रविंद्रानंद सरस्वती जी,  संत गोपेश बाबाजी, संत बलदेव दास जी, संत श्री सीताराम दास जी, श्री कमलेश पारीक जी मुंबई  नामधारी संत अरविंदर सिंह नामधारी दिल्ली, गौ भक्त मोहम्मद फैज खान रायपुर छत्तीसगढ़, रविंद्र गुप्ता जी समाजसेवी व उद्योगपति,  आचार्य विश्व प्रकाश मानव जी एवं लाला हरदेव सहाय जी पौत्र श्री विजय गुप्ता व पौत्र वधु श्रीमती रीता गुप्ता जी वीरपाड़ा बंगाल से, श्री पीयूष सुरेश कुमार मित्तल अहमदाबाद से श्री मनोज सतीश कुमार गुप्ता दिल्ली से उपस्थित थे। सैकड़ो गोभक्तों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम हुआ कार्यक्रम का सफल संचालन गोभक्त मोहम्मद फ़ैज़ खान ने किया।

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