जीवनशैली का असर सबसे ज्यादा महिलाओं पर : डॉ. चंचल शर्मा

दुनिया में मेट्रो कल्चर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि शहरों में आधुनिक सुविधाएं भी बढ़ गई हैं। जिसके कारण हमारी जीवनशैली बदल रही है, जो महिलाओं में सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं। आजकल हार्मोन असंतुलन की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। जिससे महिलाओं को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। खराब आहार और पर्याप्त नींद की कमी से हार्मोन में उतार-चढ़ाव होता है जो महिलाओं में पीसीओएस का कारण बनता है। आशा आयुर्वेदा स्थित डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि आंकड़ों के मुताबिक, हर 10 में से 1 महिला पीसीओएस की समस्या से पीड़ित है।

डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि जैसा की सब जानते है की पीसीओएस एक हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है। इसका सीधा असर प्रजनन प्रणाली पर पड़ता है, जिससे गर्भधारण करने में महिलाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जो आगे चलकर नि:संतानता के सामान्य कारणों में से एक माना जाता है। इसमें महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी 'एंड्रोजन' का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण अंडाशय के अंडे ठीक से नहीं फट पाते हैं, जो धीरे-धीरे सिस्ट बनाने लगते हैं।

डॉ. चंचल का कहना है कि पीसीओएस के शुरुवाती लक्षणों में आपके मासिक धर्म अनियमित हो सकते है, वजन बढ़ने लगता है और अनचाहे अंगों पर बालों का उगना जैसे ठोड़ी, चेहरे, छाती, पीठ, पेट आदि शामिल है। वैसे तो पीसीओएस  महिलाओं में हार्मोनल विकार का कारण बनती है। हालांकि पीसीओएस या पीसीओडी होने के कारणों का पता अभी तक पूरी तरह नहीं लगाया जा सका है।’ लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, पीसीओएस को कमजोर रस और रक्त धातु के साथ साथ शरीर के तीन दोषों- वात, पित्त और कफ में असंतुलन से जोड़ा जा सकता है।

डॉ. चंचल शर्मा कहती है कि पीसीओडी से बचने के लिए महिलाएं इस ओर बहुत ज्यादा चिंता करने लगती हैं। वे तरह-तरह के उपाय करने लगती हैं। वे क्रैश डाइट का भी सहारा लेती हैं। यह समस्या घटाने की बजाय और अधिक बढा देता है। उनका कहना है कि इसके लिए आप आयुर्वेद का सहारा लें सकते है। एलोपेथी मेडिसन में पीसीओएस के पेशेंट को हर महीने हार्मोन के इंजेक्शन लगते है। जोकि आगे चलकर कई साइड इफेक्ट के कारण बनता है। आयुर्वेद में बिना सर्जरी के नेचुरल कंसीव करने पर जोर डाला जाता है। 

यहां मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ पंचकर्म थेरेपी से किया जाता है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। उत्तर बस्ती का इलाज आईवीएफ के महंगें इलाज से कई गुना ज्यादा सस्ता होता है। और इस इलाज की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी सफलता दर भी आईवीएफ के मुकाबले ज्यादा है। डॉ. चंचल कहती है की उत्तर बस्ती का इलाज आईवीएफ के महंगें इलाज से कई गुना ज्यादा सस्ता होता है। और इस इलाज की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी सफलता दर भी आईवीएफ के मुकाबले ज्यादा है।

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