स्पीड गवर्नर व जीपीएस के निर्माण व बिक्री के नाम पर हो रहा है घोटाला : राजकुमार

प्रधानमंत्री , गृह मंत्री, उपराज्यपाल , सीएम और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर को लिखा पत्र 

तय क़ीमत से कई गुना अधिक वसूल रहे हैं क़ीमत 

फ़िटनेस के बाद उतार लेते है दलाल 

शब्दवाणी समाचार, रविवार 22 अक्टूबर 2023, नई दिल्ली। यूनाइटेड फ्रंट फॉर ट्रक ट्रांसपोर्ट एंड सारथी एसोसिएशन (यूएफ़टीटीएसए) के प्रेसिडेंट राजकुमार यादव ने आरोप लगाया है कि दिल्ली में वहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर अरबों का घोटाल हो रहा है । इस मामले में राजकुमार ने पीएम, गृह मंत्री, एलजी, सीएम और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर को पत्र लिख कर इस घोटाले की ओर ध्यान दिलाया है । इसकी जानकारी आज यहाँ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राजकुमार ने दी। इस मौक़े पर यूएफ़टीटीएसए से अधिकारी मौजूद थे। 

राजकुमार ने कहा कि मैं दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर हो रहे अरबों के घोटाले की ओर ध्यानाकर्षण करना चाहूंगाl व्यावसायिक भारी वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी लूटमची है व नियमावली के नाम पर जो नियम बनी ही नहीं है उनसे कई गुना दाम वसूले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय यह है कि यह सब दिल्ली के स्वच्छ व तथाकथित ईमानदार सरकार की देखरेख में हो रहा है उनके आशीष के फल स्वरुप जीपीएस कंपनियां मनमाने दाम में इसे बेधडक लगातार बेच रही है। उन्होंने कहा कि ताज्जुब तो तब होता है जब इसे फिटनेस के समय ₹9000 से ₹9500 लेकर सिर्फ फिटनेस वाली गाड़ी में इंस्टॉल कर के तथाकथित रूप से पास कराया जाता है एंव पास करवाये जाने के तत्काल बाद ही दलालों के द्वारा इसे उतार भी लिया जाता है । उन्होंने कहा कि जीपीएस लगाने की नीति दिल्ली सरकार की ऐसी है जैसे वह जनता की रक्षा हेतु नहीं बल्कि खुले आम लूट करने का ज़रिया है। 

उन्होंने कहा कि यह नियम गाड़ी मालिकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। यह नियम वाहन मालिकों खून के आंसू बहाने को बेबस कर रहा है l जिस जीपीएस की मांग परिवहन विभाग की नियमावली करती है वह पैनिक बटन वाला जीपीएस है एंव पैनिक बटन वाला जीपीएस यात्री वाहन (बस /टैक्सी) के लिए लगाया जाना सुनिश्चित किया गया था l सरकार के द्वारा इसे सार्वजनिक यात्री वाहनों में महिलाओं व बच्चोँ को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से लगाया गया था किन्तु आज तक सार्वजनिक यात्री वाहनों मे पैनिक बटन का इस्तेमाल करने के बाद भी  कोई मदद अपेक्षा अनुसार नहीं मिली l यह बस राज्य सरकार के परिवहन विभाग द्वारा वसुली का जरिया ही प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि मैंने निजी तौर पर इसे सार्वजनिक टैक्सी मे पैनिक बटन दबाकर देखा, नतीजा शून्य l इस जीपीएस के माध्यम से राज्य सरकार व उसके अधीन परिवहन विभाग दोनों की मिली भगत से एक बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है l फिटनेस के नाम पर भारी मालवाहक व्यवसायिक वाहनों मे लगने वाला जीपीएस गुड्स कैरियर के अंदर तो किसी भी कारण से नहीं लगाया जाना चाहिए परंतु भारी भरकम कमाई नहीं लूट के जरिये को देखकर तमाम नियमों को तक पर रखा गया है बगैर पैनिक बटन वाले जीपीएस के गुड्स करियर को फिटनेस सर्टिफिकेट मुहैया नहीं कराया जाता हैl कई बार परिवहन विभाग में बात करने के बावजूद नतीजा शून्य l वहीं परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारि ही ऑफ रिकॉर्ड यह मानते हैँ कि गुड्स कैरियर पर इसकी कोई बाध्यता नहीं है, परंतु सच्चाई व स्थिति इसके विपरीत ही है गुड्स करियर को बगैर जीपीएस के फिटनेस सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिया जाता है? अधिकांशतः मूल रूप से खनन वाले (कोयले /लौह अयस्क / रेत / गिट्टी) परिवहन वाले क्षेत्र में जीपीएस का प्रयोग किया जाता है परंतु वहां भी पैनिक बटन वाले जीपीएस की बाध्यता नहीं है l 

उन्होंने कहा कि दिल्ली अकेला एक ऐसा प्रदेश है जहां सुविधाओं के नाम पर ट्रक ट्रांसपोर्टरों व भारी व्यवसायिक वाहन मालिकों की निरंतर रूप से जेब काटी जाती है क्योंकि अन्य प्रदेशों में जो जीपीएस लगाए जाते हैं बाजार में उनकी वास्तविक कीमत ₹2000 से ₹3000 होती है और इनमे लगने वाले जीपीएस से निरंतर गाड़ी की ट्रैकिंग हो सकती हैं किन्तु दिल्ली प्रदेश में लगाए जाने वाले जीपीएस मशीनें ट्रैकिंग तो तब कर पायेगी जब वह परमानेंट लगी रहेंगी क्योंकि इस तथाकथित जीपीएस को दलालों के द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए मोटी रकम बसूलने के तुरंत बाद ही उतार लिया जाता हैl

दूसरी और भारी व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस चेक करने के नाम पर गाड़ियों की फिटनेस के समय जीपीएस को पास करने के नाम पर खुलेआम ₹2000 से ₹4000 वसूली हो रही है जब गाड़ियों में जीपीएस लगे हैं और जितने बड़े ब्रांड्स ने जीपीएस लगाया है व जीपीएस ठीक है तो पास करने के पैसे क्यों और यदि सभी जीपीएस में अनियमिताएं हैं तो इसकी नोटिस कंपनी को दी जाए न कि आम गाड़ी मालिकों को। उन्होंने सवाल किया कि जीपीएस के नाम पर वाहन मालिकों को कब तक ठगा जाएगा, कब तक लूटा जाएगा । सामान्य ट्रक/ट्रिपर वह भारी व्यवसायिक वाहन मालिकों को? क्या दिल्ली सरकार को, परिवहन मंत्री को,वरिष्ठ परिवहन अधिकारियों व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की इसकी सूचना नहीं हैl कृपया इस भ्रष्ट व्यवस्था व लूट पद्धति को शीघ्रता शीघ्र बंद किया जाए l उन्होंने पीएम, गृह मंत्री, एलजी, सीएम, ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर आदि को पत्र भेजकर इस में उचित दिशा निर्देश जारी करने  की माँग की है ताकि परिवहन व्यवसाय को बचाने में मदद मिल सके ।

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