एक्ज़ोनोबेल ने ग्रामीण भारत में 1500 इंद्रधनुष महिलाओं के साथ मनाई खुशियों की दिवाली
शब्दवाणी समाचार, नवम्बर 15 नवम्बर 2023, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, गुरुग्राम। जहाँ भारत में दिवाली मनाने की तैयारी हो रही है, वहीं ड्यूलक्स पेंट्स के निर्माता, एक्ज़ोनोबेल इंडिया में ‘ख़ुशियों की दिवाली’ इंद्रधनुष महिलाओं के साथ मनाई जा रही है, जो भारत में गाँवों का एक सशक्त और विस्तृत भविष्य सुनिश्चित कर रही हैं। एक्ज़ोनोबेल इंडिया ने प्रोजेक्ट इंद्रधनुष का लॉन्च 2021 में महिलाओं को ग्रामीण भारत में माइक्रो-उद्यमिता और सामाजिक-आर्थिक विकास लाने में समर्थ बनाने के उद्देश्य से किया था। असम के एक गाँव से शुरू हुआ यह सामाजिक अभियान अब छह राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हरियाणा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के 500 गाँवों की महिलाओं को लाभ पहुँचा रहा है।
इस अभियान के बारे में एक्ज़ोनोबेल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर, राजीव राजगोपाल ने कहा, “दिवाली के शुभ अवसर पर हमें इस बात पर गर्व है कि प्रोजेक्ट इंद्रधनुष ग्रामीण भारत को एक सस्टेनेबल भविष्य से रोशन करने में अपना योगदान दे रहा है। प्रोजेक्ट इंद्रधनुष महिलाओं को डेकोरेटिव पेंट के उपयोग और उद्यमिता का प्रशिक्षण देकर तथा उन्हें पेंट का ज्ञान, संसाधन एवं व्यवसायिक कौशल प्रदान करके उनके लिए आशा, सशक्तिकरण एवं वित्तीय स्वतंत्रता के द्वार खोल रहा है। प्रोजेक्ट इंद्रधनुष द्वारा अब तक 34,000 ग्रामीण महिलाओं को पेंट व्यवसाय में आजीविका के नए अवसर प्रदान किए जा चुके हैं। 1,500 से ज़्यादा ग्रामीण महिलाएं इंद्रधनुष से प्रशिक्षण लेकर व्यवसायिक पेंटर बन चुकी हैं, और महिलाओं से जुड़ी रूढ़ियों को चुनौती दे रही हैं। 35 वर्ष की सोंती डेका, जिनके पति दैनिक मज़दूर हैं, जैसे कई लोगों के लिए पेंट से मिली एक-एक पाई बहुत मायने रखती है। यह कमाई उनकी बचत में जुड़ती चली जाती है, जिससे वो अगले साल अपनी अपनी बेटी की कॉलेज की पढ़ाई में मदद कर सकती हैं।
प्रोजेक्ट इंद्रधनुष की मदद से भारत के 500 गाँवों में 300 से अधिक महिलाएं पहली बार पेंट उद्यमी बनी हैं, जिन्हें इंद्रधनुष पेंट-प्रेन्योर्स कहते हैं। इनमें से कई महिलाएं पहले या तो गृहिणी थीं, या फिर किराना, स्टेशनरी जैसी छोटी-मोटी दुकानें चलाती थीं। अब वो भारत के अंदरूनी इलाक़ों में पेंट उद्योग में परिवर्तन ला रही हैं, और साथ ही अपने परिवारों को अतिरिक्त आय भी प्रदान कर रही हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पश्चिम बंगाल में पूर्वी मिदनापुर जिले के कुलबेरिया गांव की 24 वर्षीय पल्लवी बेरा का है। एंट्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (ईडीपी) पूरा करने के बाद पल्लबी ने एक्ज़ोनोबेल की मदद से अपनी खुद की पेंट शॉप शुरू की। उसकी पेंट शॉप जल्द ही उसके गाँव एवं आस-पास के इलाकों में लोकप्रिय हो गई, जिससे उसे अपने परिवार को वित्तीय मज़बूती प्रदान करने में मदद मिली। 100% महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाले इस आत्मनिर्भर व्यवसायिक परिवेश की अंतिम कड़ी इंद्रधनुष डीलरशिप हैं, जो इंद्रधनुष महिला पेंटर और छोटे स्टोर मालिकों के बीच एक सेतु का काम करती हैं।
असम के दरांग जिले में सिंगीमारी गांव की अजीमा बेगम द्वारा एक गृहिणी से सफल उद्यमी बनने तक का सफ़र बहुत प्रेरणादायक है। वो दो दशकों से अपने परिवार की देखभाल कर रही थीं, फिर 42 साल की उम्र में उन्होंने एक पेंट उद्यमी बनने का फैसला किया। उनकी बेटी मरियम ने बताया कि अजीमा को इस बात पर गर्व और पूरा आत्मविश्वास है कि वो मन में जो ठान लेती हैं, उसे हासिल कर सकती हैं। उनके अलावा तमिलनाडु में महिलाओं के एक सेल्फ-हेल्प ग्रुप की चार महिलाओं ने भी इंद्रधनुष की मदद से उद्यमी बनने के अवसर का लाभ उठाया। वो पहले अपने गाँव में निर्माण कार्य करने वाली श्रमिक थीं, जो अब पेंट उद्योग में अपना नया आकर्षक भविष्य बना रही हैं।
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