एएससीआई ने विज्ञापनों में पर्यावरण संबंधी दावों की निगरानी के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस किया पेश
शब्दवाणी समाचार, शनिवार 18 नवंबर 2023, संपादकीय व्हाट्सएप 08803818844 नई दिल्ली।:एडवर्टाइजिंग स्टैण्डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने “पर्यावरणीय/ग्रीन क्लेम्स” (हरित दावों) पर व्यापक ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की है। एएससीआई ने यह कदम उठाकर पर्यावरणीय विज्ञापन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर करने के लिए ठोस पहल की है।
ड्राफ्ट गाइडलाइंस को लोगों की राय लेने के लिए सार्वजनिक किया जा चुका है। 31 दिसंबर 2023 तक इस पर सुझाव या प्रतिक्रिया भेजी जा सकती हैं, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। पर्यावरणीय विशेषज्ञों समेत कई बहुपक्षीय टास्कफोर्स ने इस ड्राफ्ट को विकसित किया है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरणीय विज्ञापनों को ग्रीनवाशिंग व्यवहारों (जनता या निवेशकों को कंपनी के उत्पादों और परिचालन की वजह से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भ्रामक या गलत सूचना देना) से मुक्त रखा जाए। यह ड्राफ्ट गाइडलाइंस विज्ञापनदाताओं को विज्ञापनों में तथ्य और साक्ष्य आधारित पर्यावरण संबंधी दावे करने के बारे में स्पष्ट फ्रेमवर्क की रूपरेखा सामने रखता है।
पर्यावरण संबंधी दावों में वैसे दावे शामिल हैं, जिसके जरिए किसी उत्पाद या सेवा का पर्यावरण पर शून्य या सकारात्मक प्रभाव का दावा करते हुए यह बताया जाता है कि यह पर्यावरण के लिहाज से पहले जैसे उत्पादों या सेवा या प्रतिस्पर्धी उत्पादों के मुकाबले कम नुकसानदेह है या फिर इसके विशिष्ट पर्यावरणीय लाभ हैं।
पर्यावरणीय/ग्रीन क्लेम्स स्पष्ट या छिपे मतलब वाले हो सकते हैं, जो विज्ञापनों, मार्केटिंग सामग्री, ब्रांडिंग (व्यवसाय और व्यापारिक नामों सहित), पैकेजिंग पर या उपभोक्ताओं को दी गई अन्य जानकारियों में नजर आ सकते हैं।
ड्राफ्ट गाइडलाइंस में ग्रीनवॉशिंग के बारे में बताया गया है, जो भ्रामक पर्यावरणीय दावे करने की गुमराह करने वाली प्रणाली है। एएससीआई गलत सूचना से निपटने के लिए प्रमाणित, तुलना करने योग्य और सत्यापित किए जाने वाले दावों के महत्व पर जोर देता है। एएससीआई ने विज्ञापनों की निगरानी किए जाने के दौरान पाया है कि पर्यावरणीय फायदों की जानकारी देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों का इस्तेमाल ढीलेढाले तौर पर किया जाता है, जिससे यह प्रतीत होता है कि उत्पाद वास्तव में ज्यादा पर्यावरण हितैषी हैं।
प्रस्तावित दिशानिर्देश:
1. पूर्णता के साथ किया गया दावा, जो केवल इन्हीं तक सीमित नहीं है, जैसे "पर्यावरण के अनुकूल", "पर्यावरण हितैषी", "सस्टेनेबल", "धरती के अनुकूल" जैसे शब्दों का मतलब यह होगा कि जिन उत्पादों को विज्ञापन में दिखाया गया है, उनका कोई पर्यावरणीय प्रभाव नहीं है या वह पर्यावरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, और इसे मजबूती से प्रमाणित किया जाना चाहिए।
"ज्यादा हरित" या "पर्यावरण हितैषी" जैसे तुलनात्मक दावों को तभी उचित ठहराया जा सकता है, यदि जिन उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन किया जा रहा है उनके विज्ञापनदाता के पिछले उत्पाद या सेवा या प्रतिस्पर्धी उत्पादों या सेवाओं की तुलना में पर्यावरणीय लाभ पहुंचाती है और ऐसी तुलना के आधार को स्पष्ट किया जा चुका है।
2. जब तक कि विज्ञापन में कुछ और न कहा गया हो, तो पर्यावरणीय दावे जिन उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन किया जा रहा है उनके पूरे जीवन चक्र पर आधारित होने चाहिए और जीवन चक्र की सीमाओं को स्पष्ट किया जाना चाहिए। यदि किसी सामान्य दावे को उचित नहीं ठहराया जा सकता है, तो किसी उत्पाद या सेवा के विशिष्ट पहलुओं के बारे में अधिक सीमित दावा उचित हो सकता है। जो दावे जिन उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन किया जा रहा है उनके जीवन चक्र के केवल एक हिस्से पर आधारित हैं, उन्हें उपभोक्ताओं को उत्पाद या सेवा के समग्र पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में गुमराह नहीं करना चाहिए।
3. जब तक संदर्भ से स्पष्ट न हो, पर्यावरणीय दावे में यह बात स्पष्ट रूप से होना चाहिए कि क्या यह उत्पाद, उत्पाद की पैकेजिंग, एक सेवा, या केवल उत्पाद, पैकेज या सेवा के एक हिस्से को संदर्भित करता है।
4. विज्ञापनों को किसी उत्पाद या सेवा द्वारा प्रदान किए जाने वाले पर्यावरणीय लाभ के बारे में उपभोक्ताओं को किसी पर्यावरणीय रूप से हानिकारक तत्वों की अनुपस्थिति को उजागर करके गुमराह नहीं करना चाहिए, यदि वह घटक आमतौर पर प्रतिस्पर्धी उत्पादों या सेवाओं में नहीं पाया जाता है, तो कानूनी दायित्व के परिणामस्वरूप होने वाले पर्यावरणीय लाभ को सामने रखते हुए विज्ञापनों को उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करना चाहिए, खासतौर पर ऐसी स्थिति में जब प्रतिस्पर्धी उत्पाद समान आवश्यकताओं के अधीन हैं।
5. प्रमाणन और मंजूरी की मुहरों (सील्स) से यह स्पष्ट होना चाहिए कि उत्पाद या सेवा की किन विशेषताओं का प्रमाणनकर्ता द्वारा मूल्यांकन किया गया है, और ऐसे प्रमाणन का आधार क्या है। किसी विज्ञापन में उपयोग किए गए प्रमाणपत्र और मुहरें राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाणन प्राधिकारी से कराई जानी चाहिए।
6. किसी विज्ञापन में नजर आ रहे दृश्य जिस उत्पाद या सेवा का विज्ञापन किया जा रहा है उसके बारे में गलत धारणा बनाने वाले नहीं होने चाहिए। मिसाल के तौर पर पैकेजिंग और/या विज्ञापन सामग्री में रीसाइक्लिंग प्रक्रिया को बताने वाला लोगो किसी उत्पाद या सेवा के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में उपभोक्ता की धारणा को मजबूती से प्रभावित कर सकते हैं।
7. विज्ञापनदाताओं को भविष्य के पर्यावरणीय उद्देश्यों के बारे में महत्वाकांक्षी दावे करने से तब तक बचना चाहिए जब तक कि उन्होंने स्पष्ट और लागू की जाने वाली योजनाएं विकसित नहीं कर ली हों, जिससे यह साफ हो कि उन उद्देश्यों को कैसे प्राप्त किया जाएगा।
8. कार्बन ऑफसेट क्लेम्स के लिए विज्ञापनदाताओं को स्पष्टता और प्रमुखता से यह बताना चाहिए कि क्या कार्बन ऑफसेट उत्सर्जन में कटौती से संबंधित है, जो दो साल या उससे अधिक समय तक नहीं होगी। विज्ञापनों को प्रत्यक्ष रूप से या छिपे हुए से यह दावा नहीं करना चाहिए कि कार्बन ऑफसेट उत्सर्जन में कमी के बारे में बताता है, यदि कटौती या गतिविधि जिसकी वजह से कमी आई है, वह कानून बाध्यता थी।
9. उत्पाद के कंपोस्टेबल, बायोडिग्रेडेबल, रिसाइक्लेबल, नॉन-टॉक्सिक, फ्री-ऑफ आदि से संबंधित दावों के लिए विज्ञापनदाताओं को उन पहलुओं को समझाना चाहिए, जिसके लिए ऐसे दावों को श्रेय दिया जा रहा है और उसकी सीमा भी बतानी चाहिए। ऐसे सभी दावों को प्रमाणित करने के लिए प्रतिस्पर्धी और विश्वनीय वैज्ञानिक सबूत होना चाहिए कि:
a) उत्पाद या योग्य घटक, जहां लागू हो, ग्राहक के इस्तेमाल के बाद बेहद कम समय के भीतर नष्ट हो जाएगा।
b) उत्पाद ऐसे तत्वों से मुक्त है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
एएससीआई की सीईओ और जनरल सेक्रेटरी मनीषा कपूर ने कहा, "पर्यावरण/हरित दावों पर एएससीआई की ड्राफ्ट गाइडलाइंस यह सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है कि जो उपभोक्ता ग्रीन ब्रांड्स का समर्थन करना चाहते हैं, उनके पास तार्किक निर्णय लेने के लिए सही जानकारी है। इन गाइडलाइंस का मकसद विज्ञापनदाताओं के लिए एक मानक स्थापित करते हुए उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हित में विज्ञापन में पारदर्शिता और प्रामाणिकता की संस्कृति को बढ़ावा देना है। हम उपभोक्ताओं, उद्योगों, नागरिक समाज के सदस्यों और विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों को मजबूत बनाने के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस पर उन्हें अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि इसे और मजबूत और प्रभावी बनाया जा सके। 31 दिसंबर, 2023 तक यह ड्राफ्ट सार्वजनिक सुझावों के लिए खुला है। contact@ascionline.in पर ईमेल के जरिए फीडबैक भेजा सकता है।
Comments