आईआईएसएसएम का 33 वां वैश्विक कॉन्क्लेव 19 दिसंबर को होगा
समारोह का उद्घाटन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी करेंगे
विशिष्ट अतिथि होंगे गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय
तीन दशकों से नुकसान प्रबंधन प्रशिक्षण के लिए प्रतिबद्ध संस्था है आईआईएसएसएम
शब्दवाणी समाचार, शनिवार 16 दिसंबर 2023, संपादकीय व्हाट्सएप 08803818844, नई दिल्ली। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) का 33 वां वार्षिक वैश्विक कॉन्क्लेव 19 से 20 दिसंबर 2023 तक होटल ताज विवांता, सूरजकुंड, फरीदाबाद में आयोजित किया जाएगा। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आईआईएसएसएम के संस्थापक एवं कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व सांसद आर. के. सिन्हा ने बताया कि उद्घाटन समारोह में 19 दिसंबर 2023 को सुबह 10 बजे मुख्य अतिथि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी होंगे और सम्मानित अतिथि गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय होंगे। 19 दिसंबर को ही केंद्रीय विद्युत मंत्री आर. के. सिंह और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल देश-विदेश से आये प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे।
उन्होंने बताया कि कॉन्क्लेव के दूसरे दिन 20 दिसंबर 2023 को सर्बानंद सोनोवाल, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री, अमिताभ कांत, शेरपा, आपदा जोखिम प्रशासन को मजबूत करने पर जी20: सार्वजनिक, निजी, कॉर्पोरेट, नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, के जे अल्फोंस, आईपीएस (सेवानिवृत्त), पूर्व मंत्री, भारत सरकार, डॉ. कृष्णा वत्स, सदस्य, एनडीएमए आपदा जोखिम वित्तपोषण और वित्तीय लचीलेपन के निर्माण पर और प्रताप हेबलीकर, पूर्व विशेष सचिव, भारत सरकार प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे।
श्री सिन्हा ने बताया कि सुरक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण का विशेष महत्व है। सुरक्षा एजेंसियों को समय-समय पर नई तकनीक से खुद को अपग्रेड करते रहना चाहिए। उन्होंने आईआईएसएसएम की स्थापना के उद्देश्य के विषय में बताते हुए कहा कि जब 1989 में मैं पटना में एक छोटी सी ही सिक्यूरिटी कम्पनी चलाता था तब दिवंगत पदमश्री के. एन. प्रसाद ने, जो भारतीय पुलिस सेवा के पहले बैच के टॉपर थे, मुझे कहा कि सिक्योरिटी के प्रोफेशन के उत्थान लिए भी कुछ करना चाहिए। जो लोग प्राइवेट सिक्यूरिटी के क्षेत्र में आ रहे हैं उनके पास अपने क्षेत्र की अच्छी जानकारी तो है, लेकिन उनके पास इस क्षेत्र की बारीकी की ज्यादा जानकारी नहीं होती। उन्हें इस प्रशिक्षण की सख्त ज़रूरत है कि ग्राहक प्राइवेट सिक्योरिटी से क्या अपेक्षा करते हैं?
इस प्रकार, आई.आई.एस.एस.एम की स्थापना पूर्व विशेष सचिव गृह पद्मश्री के. एन. प्रसाद और श्री आर के सिन्हा, पूर्व संसद सदस्य (राज्य सभा) ने संयुक रूप से 1990 में की थी। आई.आई.एस.एस.एम इन्डियन सोसाइटी एक्ट के तहत 1992 में पंजीकृत एक गैर-लाभकारी शैक्षिक संस्थान है। आई.आई.एस.एस.एम तीन दशकों से सुरक्षा, बचाव और हानि निवारण उद्योग में शिक्षा और व्यावसायिकता के प्रसार में लगा हुआ है। आई.आई.एस.एस.एम एक आईएसओ 9001:2015 प्रमाणित संस्थान है। यह सुरक्षा पेशेवरों के लिए विषयगत और विभिन्न पाठ्यक्रम चलाता है। वर्ष में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कई सेमिनार आयोजित करता है। यह सुरक्षा और सुरक्षा लेखा परीक्षा आयोजित करता है और भारत सरकार और कॉर्पोरेट्स को परामर्श सेवाएं प्रदान करता है।
आईआईएसएसएम 33वें वार्षिक वैश्विक कॉन्क्लेव में विभिन्न क्षेत्रों से उद्योग, शिक्षा, राजनीति और शासन के नेता चर्चा, बहस और विचारों के आदान-प्रदान के लिए हमारे साथ शामिल होंगे। इस वर्ष का व्यापक विषय "आपदा जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा: व्यवसाय नेतृत्व, नवाचार और भवन लचीलापन (बीएलआईबीआर) है। कैबिनेट मंत्रियों और प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा 10 मुख्य भाषण, 7 पूर्ण सत्र और विभिन्न कंपनियों द्वारा उत्पाद प्रस्तुतियाँ होंगी।
कॉन्क्लेव के पहले दिन 19 दिसंबर को जोखिम और अंतर्संबंधों को समझना: एसडीजी, आपदा, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा, आपदा जोखिम प्रशासन को मजबूत करना: सार्वजनिक, निजी, कॉर्पोरेट, नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, बिजनेस रिकवरी के लिए बिजनेस निरंतरता योजना, मानवीय संकट के लिए योजना बनाना: योजना, प्रारंभिक चेतावनी, प्रतिक्रिया, राहत, तैयारी, पुनर्प्राप्ति और ज्ञान प्रबंधन जैसे विषयों पर पैनल चर्चाएँ भी होंगी।
कॉन्क्लेव के दौरान 52 मीटर सुरंग के अन्दर फंसे लोगों को बचाने वालों और विश्व विख्यात पर्यावरणविद पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। कॉन्क्लेव के अंतिम दिन 20 दिसंबर को आपदा जोखिम वित्तपोषण और वित्तीय लचीलापन का निर्माण, उभरती चुनौतियाँ: साइबर अपराध, महामारी, औद्योगिक आपदाएँ और अग्नि सुरक्षा और कॉर्पोरेट प्रशासन में लचीलापन बनाने के लिए सामाजिक समावेशन, मानव संसाधन नीति और सामाजिक सुरक्षा उपाय जैसी विषयों पर पैनल चर्चाएँ होंगी। सभी पैनल चर्चाओं में एक अध्यक्ष, सह-अध्यक्ष और 3-4 पैनलिस्ट होंगे।
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