13 जनवरी 2024 को होगा ट्रिस्ट विद अयोध्या किताब का विमोचन

शब्दवाणी समाचार, शनिवार 13 जनवरी 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। वरिष्ठ स्तंभकार, लेखक और पूर्व राज्यसभा सांसद श्री बलबीर पुंज द्वारा लिखित ‘ट्रिस्ट विद अयोध्या: डीकोलोनाइजेशन ऑफ इंडिया’ (Tryst with Ayodhya: Decolonisation of India) पुस्तक का विमोचन 13 जनवरी 2024 को दिल्ली विश्वविद्यालय में होगा। इस पुस्तक में साक्ष्यों, ऐतिहासिक घटनाओं और संदर्भों के साथ यह स्थापित करने का प्रयास किया गया है कि भारत और श्रीराम कैसे कई अलग-अलग रूपों में जुड़े हैं। इसमें श्रीराम जन्मभूमि पर आक्रमण करने वालों का इतिहास और इसके पुनर्वास हेतु सतत संघर्ष का विवरण है। साथ ही इसमें सत्ता में बैठे लोगों का, जिनका चिंतन औपनिवेशी है और भारत के उदय का संबंध उसके सांस्कृतिक पुनरुत्थान व भारतीय मस्तिष्कों के वि-औपनिवेशीकरण के साथ कैसे हें उसका भी विस्तृत वर्णन है। 

पुस्तक बताती है कि श्रीराम मंदिर पुनर्निर्माण के विरोध को औपनिवेशिक मानसिकता द्वारा शक्ति प्रदान की गई थी, जो स्पष्ट रूप से इस्लामी और ब्रिटिश आक्रांताओं के भारत छोड़ने के बाद देश में सक्रिय है। उनकी लड़ाई और अनेक दलों द्वारा निरंतर अभियानों का एकमात्र उद्देश्य यह था कि वह उस बाबरी ढांचे को बचाए, जो बहुत पहले मस्जिद नहीं रह गई थी और आयोध्या स्थित जन्मस्थली पर किसी भी तरह श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण को रोका जाए। परंतु सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संवैधानिक खंडपीठ ने 9 नवंबर 2019 को सर्वसम्मत फैसला देकर उसी गुलाम औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त 'इतिहासकारों', उनके सहयोगियों और तथाकथित 'सेक्युलर' राजनीतिज्ञों को आइना दिखा दिया। इस विचार समूह ने जानबूझकर श्रीराम जन्मभूमि के साक्ष्यों को निरस्त किया, तथ्यों को अपने एजेंडे के लिए तोड़ा-मरोड़ा और छिपाया, साथ ही एक विकृत नैरेटिव बनाकर मुसलमानों को उस ढांचे के लिए लड़ने हेतु उकसाया, जो बदलती परिस्थिति में कभी प्रासंगिक ही नहीं रहा। 

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