कड़ाके की ठंड में कैसे रखें सेहत का ध्‍यान, बता रही हैं आयुर्वेदिक डॉ. चंचल शर्मा

शब्दवाणी समाचार, शनिवार 6 जनवरी 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। सर्दियाँ शुरू होने के साथ शीतलहर चलने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। आपने स्वेटर और दूसरे गर्म कपड़े निकाल लिए होंगे। ऐसे में इस मौसम में सर्दी, खांसी, बुखार जैसी बीमारियां बढ़ने लगती हैं। इससे बचने के लिए ठंड के मौसम में न सिर्फ गर्म कपड़े ही काफी हैं, बल्कि खान-पान की आदतों में भी बदलाव जरूरी है। क्योंकि शरीर को अंदर के साथ-साथ बाहर से भी गर्म रखना जरूरी है। मौसम के अनुसार हमें कई बदलाव करने पड़ते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारी जीवनशैली और खान-पान मौसम के अनुसार होना चाहिए, इसलिए आयुर्वेद में 'ऋतुचर्या' का उल्लेख किया गया है।

आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और सीनियर डॉक्टर चंचल शर्मा का कहना है की आयुर्वेद के अनुसार 'ऋतु' का मतलब है 'मौसम' और 'चर्या' यानी 'जीवनशैली और आहार संबंधी नियम' को कहा गया है। आयुर्वेद में 6 ऋतुओं के लिए अलग-अलग चर्या के बारे में बताया गया है। इनका पालन करके हम कई बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। आयुर्वेद का एक अहम पहलू खानपान और जीवनशैली पर जोर देना है जिसके माध्यम से कोई भी स्वस्थ रह सकता है यानी बीमार नहीं पड़ने पर आधारित है। इस उद्देश्य से दिनचर्या और ऋतुचर्या महत्वपूर्ण हो जाती है। आयुर्वेद के मुताबिक, फिट रहने के लिए हमें हर मौसम के गुणों और त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ पर उनके प्रभाव के बारे में जानना जरूरी है।

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