स्मोकिंग माँ बनने की संभावना को कितने प्रतिशत तक कम कर सकती

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 18 जनवरी 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। हर महिला के लिए माँ बनना और अपने शरीर के अंदर जीवन का पालन-पोषण करना एक सुखद अनुभव होता है। मां बनने से पहले महिलाओं को अपनी सेहत पर काफी ध्यान देने की जरुरत है। क्योंकि इसके आधार पर ही प्रेगनेंसी का अनुभव सुखद या दुखद हो सकता है। आज के समय में खानपान और जीवनशैली दोनों ही हेल्दी नहीं हैं, इम्युनिटी की कमी है और शारीरिक कमजोरी है जिसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न होती है। आश आयुर्वेदा की डायरेक्टर और सिनियर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि धूम्रपान का स्वास्थ्य पर प्रभाव कई दशकों से स्वास्थ्य चिंता का विषय रहा है। धूम्रपान शरीर के लगभग हर अंग को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन हम मुख्य रूप से फेफड़ों के बारे में सोचते हैं। लेकिन धूम्रपान प्रजनन क्षमता को भी कई तरह से प्रभावित कर सकता है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, और आगे चलकर पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए माता-पिता बनना अधिक कठिन होता है।

डॉ. चंचल का कहना है कि धूम्रपान आपकी प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। धूम्रपान सीधे आपकी प्रजनन क्षमता और आपके द्वारा उत्पादित अंडों की गुणवत्ता पर प्रभाव डालता है। दरअसल, धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में अत्यधिक धूम्रपान करने वाली महिलाओं में मेनोपॉज का चरण एक से चार साल पहले शुरू हो जाता है। इसके अलावा अगर आप गर्भवती होती है तो उस समय धूम्रपान से होने वाले कई जोखिम भी हो सकते हैं, जैसे कि मिसकैरेज होना, अचानक बेबी डेथ सिंड्रोम, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन या फिर बच्चे को अन्य रोग होना शामिल हैं। साथ ही कामेच्छा की कमी, अंडों में जेनेटिक नुकसान होना और हार्मोनल बदलाव को भी बढ़ावा देता है, जो कम एएमएच, पीसीओडी, पीसीओएस, अनियमित पीरियड्स का कारण बनता है।

डॉ. चंचल बताती है कि सेकेंड-हैंड धूम्रपान के कारण भी महिलाओं कि फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। सेकेंड-हैंड धूम्रपान या फिर सेकेंड-हैंड धुएं का मतलब है कि जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल अन्य लोगों द्वारा भी अंदर ले लिए जाते हैं।,आपके गर्भधारण की संभावनाओं को भी प्रभावित कर सकता है। जब आप सिगरेट पीते हैं, तो अधिकांश धुआं आपके फेफड़ों में नहीं जाता, बल्कि आपके आस-पास की हवा में चला जाता है। इसलिए अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं लेकिन आपका साथी धूम्रपान करता है, तब भी आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। आखिर में डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि अंडों के नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन प्रेगनेंसी के लिए धूम्रपान बंद करने से आप अपनी प्रजनन क्षमता में सुधार लाएंगे और अपने अंडों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करेंगे। आप जितना अधिक समय तक धूम्रपान के बिना रहेंगी, गर्भावस्था संबंधी किसी भी जटिलता की संभावना उतनी ही कम होगी। धूम्रपान के सेवन से न सिर्फ हमारे फेफड़ो पर असर पड़ता बल्कि प्रजनन क्षमता के साथ अन्य अंगों पर भी असर पड़ता है। जब कई कपल्स ऐलोपैथी से इलाज करवाते है तो डॉक्टर उन्हें आईवीएफ की सलाह देते है। लेकिन आप आयुर्वेद उपचार के साथ शरीर के शुद्धिकरण के साथ प्रजनन क्षमता को मजबूत करते है। इस पद्धति में अंडों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ निसंतानता की अन्य समस्याओं को जड़ी-बूटियों, पंचकर्मा थेरेपी, आहार और जीवनशैली को सुधारने साथ इलाज किया जाता है। इस इलाज में किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और बिना सर्जरी के आपको नेचुरल तरीके से गर्भधारण करवाने में मदद करते है।

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