2024 में 95 फीसदी भारतीय सीआईओ के अनुसार उनके कारोबार के लिए एआई है ज़रूरी : लेनोवो रिपोर्ट

 

◆  भारत के 45 फीसदी सीआईओ का मानना है कि उन्हें एआई संबंधी पदों पर भर्तियों के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

◆  एशिया पेसिफिक के 69 फीसदी सीआईओ नॉन-पब्लिक क्लाउड वातावरण में एआई वर्कलोड को प्राथमिकता देते हैं

◆  2024 के दौरान एशिया पेसिफिक में एआई पर व्यय 45 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद

शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 22 मार्च 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। लेनोवो (एचकेएससीः 992) ने सीआईओ प्लेबुक 2024- इट्स ऑल अबाउट स्मार्टर एआई’ रिपोर्ट जारी की, जो एशिया पेसिफिक में एआई के अडॉप्शन पर व्यापक रूझान प्रस्तुत करती है। लेनोवो द्वारा नियुक्त आईडीसी रिपोर्ट, जिसमें भारत में 150 से अधिक सहित 900 से अधिक सीआईओ का सर्वेक्षण किया गया, से पता चलता है कि एशिया पेसिफिक में कंपनियां 2023 की तुलना में 2024 में एआई खर्च को 45% तक बढ़ाने की योजना बना रहीं हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि एशिया पेसिफिक के संगठन 2023 की तुलना में 2024 में एआई पर व्यय 45 फीसदी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट के अुनसार एआई को लेकर पिछले साल की तुलना में सीआईओ की प्राथमिकताओं में काफी बदलाव आए हैं। उल्लेखनीय है कि एशिया पेसिफिक में 2023 में सबसे ज्यादा प्राथमिकता राजस्व और मुनाफे को दी जाती थी, जो 2024 में तीसरे स्थान पर आ गए हैं। वहीं उपभोक्ताओं का अनुभव और संतोष दो स्थान आगे बढकर टॉप 2 में आ गया है। कारोबार के बदलते परिवेश के बीच आधुनिक इनोवेशन्स एवं उपभोक्ता उन्मुख दृष्टिकोण की ओर झुकाव बढ़ा है। हालांकि एआई को लेकर कारोबार लीडर्स एवं सीआईओ के बीच मतभेद बढ़ गया है। बिज़नेस लीडर उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने और अच्छे परिणामों के लिए जैनएआई को महत्व देते हैं। सीआईओ आशावाद को लेकर सतर्क हैं। वहीं जैनएआई को चौथी टेक प्राथमिकता बताया गया है, सीआईओ ऐसी एआई तकनीकों को प्राथमिकता दे रहें हैं जो सुरक्षा, बुनियादी सुविधाओं एवं प्रतिभा संबंधी ज़रूरतों को पूरा कर सकें।

अमित लूथरा, एमडी- भारत, लेनोवो आईएसजी ने कहा एआई प्लेबुक उपभोक्ताओं के नज़रिए से रूझान लेकर आई है। भारत में सीआईओ, एआई को लेकर सबसे ज़्यादा आश्वस्त हैं, 95 फीसदी इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि यह प्रतिस्पर्धी लाभ देगी, वहीं 57 फीसदी का मानना है कि यह उनके संगठनों के लिए गेमचेंजर साबित होगी। जैनएआई और मशीन लर्निंग तथा इसके बाद डीप लर्निंग सिस्टम में निवेश, संचालनात्मक दक्षता, सुरक्षा, निर्णय निर्धारण प्रक्रिया और उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने की उनकी इच्छा को व्यक्त करता है।

सीआईओ के अनेसार एआई के लिए मुख्य चुनौती है जैनएआई की डेटासेट पर निर्भरता, यह एक ऐसा स्रोत है, जो ज़्यादातर संगठनों के पास नहीं होता है। कारोबार की चुनौतियों की बात करें तो नौकरी की सुरक्षा और ज़रूरी एआई कौशल की कमी, परिपक्व बाज़ारों में आईटी कर्मचारियों के लिए मुख्य चुनौतियां हैं। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में सबसे ज़्यादा नौकरियों की सुरक्षा भारत में है। मुख्य रूप से डेटा ऑप्स (75 फीसदी), सेकऑप्स और डेवऑप्स (75 फीसदी) में उपलब्ध ऑपरेशनल एआई नौकरियों सुलभ एवं प्रासंगिक बनी हुई हैं, और संगठनों की एआई यात्रा जारी रहने के साथ प्रमुख एंट्री पॉइन्ट्स का प्रतिनिधित्व करती हैं। एशिया पेसिफिक और भारत के 45 फीसद उद्यम एआई संबंधी पदों की भर्ती के लिए जूझ रहे हैं, इनके लिए उन्हें दोगुना प्रयास करने पड़ रहे हैं। प्रतिभा की खामियों के चलते कंपनियों को इंटरनल सोल्युशन्स ही खोजने पड़ते हैं, और अपने मौजूदा कर्मचारियों को अपस्किल करना ज़रूरी हो जाता है। 

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