टीबी के लिए पर्याप्त संख्या में आईईसी और शहर के हर कोने तक जागरूकता जरूरी : डॉ वीरेन्‍द्र यादव

• आर्टेमिस हॉस्पिटल ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का तीसरा चरण किया.लॉन्च.

शब्दवाणी समाचार, शनिवार 15 जून 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, गुरुग्राम। आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने भारत से टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ अपने कार्यक्रम ‘इट्स फाइटबैक’ का तीसरा चरण लॉन्च कर दिया है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समर्थित और यूएसएड की अगुआई वाली इस सीएसआर पहल का उद्देश्य गुरुग्राम के शहरी स्लम इलाकों में रहने वाले प्रवासियों के बीच टीबी उन्मूलन के प्रयासों को गति देना है। जीएलआरए इंडिया द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं को दूर करने में समाज को साथ लेकर चलने पर फोकस किया जाता है। इसमें टीबी पर विशेष रूप से जोर दिया जाता है। इट्स फाइटबैक का तीसरा चरण जून, 2024 से मार्च, 2025 तक चलेगा। इसमें गुरुग्राम के गांवों और शहरी स्लम को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यक्रम को एक जन आंदोलन की तरह बढ़ाया जाएगा। इसमें एक बहुपक्षीय टीबी केयर मॉडल को अपनाते हुए समाज को सशक्त करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। टीबी को लेकर जागरूकता बढ़ाना, समाज को अभियान का हिस्सा बनाना, एक्टिव केस की जांच, इलाज एवं अन्य सपोर्ट को इंटीग्रेट करना तथा गांवों में टीबी टास्क फोर्स का गठन इस जन आंदोलन का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य गुरुग्राम के 4 गांवों मानेसर, बास कुशला, भोराकलां और अलियर ढाणा के 45000 संवेदनशील लोगों में टीबी का प्रसार रोकना और टीबी के कारण जान जाने के मामलों को कम करना है। इसके लिए टीबी की समय से जांच को प्रोत्साहित किया जाएगा, साथ ही टीबी उन्मूलन के प्रयासों में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाएगा।

डिस्ट्रिक्ट सीएमओ डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा हमें केवल टीबी के ज्ञात मामलों पर ही फोकस करने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें इस बात पर भी फोकस करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति जिसमें लक्षण हों, उसकी पर्याप्त जांच हो। इसके लिए पर्याप्त संख्या में आईईसी और शहर के हर कोने तक जागरूकता जरूरी है। हम राष्ट्रीय स्तर पर टीबी उन्मूलन की दिशा में आर्टेमिस हॉस्पिटल के प्रयासों की सराहना करते हैं। भारत में टीबी एक गंभीर समस्या है। 2022-23 में 22.3 लाख नए एवं रीलैप्स केस सामने आए थे। नई दवाओं, इलाज और टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) के बाद भी शुरुआती स्तर पर टीबी की जांच चुनौती बनी हुई है। विशेष रूप से हाशिए पर जी रहे समुदायों में यह समस्या गंभीर है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के टीबी मुक्त भारत अभियान ने टीबी उन्मूलन के प्रयासों को गति दी है। इस अभियान में जन सहभागिता को बढ़ावा दिया गया है। आर्टेमिस ने इसी रणनीति के साथ इट्स फाइटबैक अभियान संचालित किया है। इसके पिछले दोनों चरणों में उल्लेखनीय सफलता मिली है। इनमें खोह, कासन और नवादा गांवों में 20,897 लोगों तक पहुंचने में सफलता मिली थी। इनमें 675 प्रिजम्प्टिव टीबी केस रेफर किए गए थे, जिनमें 29 नए केस सामने आए। अब तीसरे चरण में इसी सफलता को आगे बढ़ाया जाएगा।

शीबू जॉर्ज ने बताया कि कार्यक्रम के तहत स्थानीय भाषाओं में टीबी एवं वाश जागरूकता से जुड़े मैटेरियल प्रसारित किए जाएंगे। टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आउटरीच कार्यक्रमों, कैंपेन, संवाद कार्यक्रमों और बैठकों का आयोजन किया जाएगा। व्यापक स्क्रीनिंग कैंप के माध्यम से टीबी, एनीमिया और एनसीडी की जांच उपलब्ध कराई जाएगी। घर-घर जाकर भी काउंसिलिंग की व्यवस्था की जाएगी। टीबी की प्रिवेंटिव थेरेपी, सोशल वेलफेयर स्कीम और निक्षय में पंजीकरण को एनटीईपी से लिंक किया जाएगा, जिससे पोषण संबंधी सपोर्ट मिल सके। हर गांव में एक टीबी टास्क फोर्स गठित की जाएगी और उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। टास्क फोर्स के माध्यम से टीबी को लेकर फैली छुआछूत की भावना को भी मिटाने का प्रयास किया जाएगा।

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