मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज के डॉक्टरों ने महिला को दी नई जिंदगी

• 27 वर्षीय महिला के सीने में था नींबू के आकार का ट्यूमर, न्यूनतम चीरफाड़ वाली सर्जरी करके ट्यूमर हटाने में मिली सफलता 

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 11 जुलाई 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के डॉक्टरों ने दुर्लभ कार्डियक ट्यूमर से जूझ रही महिला को नया जीवन दिया है। 27 वर्षीय महिला के सीने में 7 सेंटीमीटर का ट्यूमर था। इसका एक टुकड़ा टूटकर उसके मस्तिष्क तक पहुंच गया था, जिस कारण से महिला स्ट्रोक का शिकार हो गई थी। डॉक्टरों ने न्यूनतम चीरफाड़ वाली सर्जरी से ट्यूमर को हटाने में सफलता प्राप्त की। महिला दो छोटे बच्चे की मां है। सिर में तेज दर्द, उल्टी और बार-बार बेहोशी और सुन्नपन की शिकायत के साथ महिला अस्पताल आई थी। महिला में स्ट्रोक के लक्षण दिख रहे थे। जांच में पता चला कि उसके हृदय के एक चैंबर में 7 सेंटीमीटर का ट्यूमर है। इसी ट्यूमर का एक टुकड़ा टूटकर मस्तिष्क की ओर पहुंच गया था, जिससे मस्तिष्क का सर्कुलेशन ब्लॉक हो रहा था।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के डायरेक्टर एवं हेड – सीटीवीएस कार्डियक सर्जरी (सीटीवीएस), कार्डियक साइंसेज डॉ. वैभव मिश्रा के नेतृत्व में डॉक्टरों ने टीम ने ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन रहे ट्यूमर के टुकड़े को मस्तिष्क से सफलतापूर्वक निकाला और हृदय से पूरे ट्यूमर को भी निकालने में सफलता प्राप्त की। केस के बारे में डॉ. वैभव मिश्रा ने कहा महिला स्ट्रोक के लक्षणों के साथ आई थी। युवाओं में, विशेष रूप से महिलाओं में ऐसे लक्षण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। इसलिए तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट ने उनकी स्थिति का विश्लेषण किया और इलाज शुरू किया। इस उम्र में स्ट्रोक जैसे मामले की दुर्लभता को देखते हुए व्यापक जांच की गई। इस दौरान सिर एवं गर्दन की आर्टरीज की इमेजिंग भी की गई, जिससे सही कारण का पता चल सके। जांच के दौरान हृदय के एक चैंबर में ट्यूमर का पता चला। इसी ट्यूमर का एक टुकड़ा टूटकर मस्तिष्क में पहुंच गया था, जिससे खून का बहाव रुक गया और स्ट्रोक के लक्षण दिखने लगे। इस स्थिति को इम्बोलाइजेशन कहा जाता है, जब किसी ट्यूमर का ठोस टुकड़ा टूटकर किसी अन्य हिस्से में पहुंच जाता है, विशेष रूप से मस्तिष्क में।

डॉ. मिश्रा ने आगे बताया कि महिला के हृदय से ट्यूमर निकालने के लिए न्यूनतम चीरफाड़ वाली सर्जरी की गई। पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी में ब्रेस्ट बोन को काटना पड़ता है और बड़ा चीरा लगाना पड़ता है। मरीज की कम उम्र को देखते हुए न्यूनतम चीरफाड़ वाली सर्जरी करने का फैसला लिया गया। इसके लिए रिब्स को काटे बिना दाहिनी तरफ मात्र 5 सेंटीमीटर का चीरा लगाया गया। सबसे पहले मरीज के स्ट्रोक का इलाज करने वाले मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के सीनियर डायरेक्टर, न्यूरो सांइसेज डॉ. विवेक कुमार ने कहा कि तेजी से और सही जांच के कारण मरीज की कमजोरी उल्लेखनीय रूप से दूर हुई है और वह पूरी तरह रिकवर कर चुकी हैं। ट्यूमर को पूरी तरह से हटा देने से फिर कभी इस ट्यूमर के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी नहीं रह गया है। इस तरह के जटिल मामलों में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स की भूमिका के बारे में बात करते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के एक्सीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एवं जोनल हेड डॉ. कौसर शाह ने कहा, ‘क्वाटर्नरी केयर के मामले में अग्रणी और विश्व स्तरीय क्लीनिकल केयर के लिए प्रसिद्ध हेल्थकेयर ब्रांड होने का हमें गर्व है। हमारे एडवांस्ड मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर और मल्टी डिसिप्लिनरी विशेषज्ञता ने हमें ऐसी जटिल परिस्थितियों में तेजी से, सटीक तरीके से एवं प्रभावी इलाज उपलब्ध कराने में सक्षम बनाया है। इससे हम सबसे जटिल क्लीनिकल परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होते हैं। यह केस भी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और हाई स्किल्ड स्पेशलिस्ट के इस्तेमाल से सर्वश्रेष्ठ नतीजे पाने की हमारी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। सफल सर्जरी और पूरी तरह रिकवर होने के बाद मरीज को चौथे दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

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